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तेली समाज ने मांगा एसटी का दर्जा, 10 हजार लोगों ने किया प्रदर्शन

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खूंटी। तेली जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने और पंचायत से संसद तक उचित प्रतिनिधित्व देने सहित अन्य मांगोें को लेकर तेली समाज के लोगों ने मंगलवार को अपनी आवाज बुलंद की।

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छोटानागपुरिया तेली उत्थान समाज के बैनर तले कचहरी मैदान में आयोजित तेली महारैली में खूंटी, रांची, लोहरदगा, सिमडेगा और गुमला जिले से आये लगभग दस हजार लोगों ने एक स्वर से तेली समुदाय की राजनीतिक उपेक्षा पर रोष प्रकट किया और इस समुदाय के विकास के लिए इसे एसटी का दर्जा देने की मांग की

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाज के केंद्रीय अध्यक्ष कामेश्वर महतो ने कहा कि काफी अर्से से तेली जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग की जा रही है।

जनजाति शोध संस्थान ने इसका प्रस्ताव भी सरकार को दिया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की सरकार ने भी इसकी अनुशंसा केंद्र से की है, पर केंद्र सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।

उन्होंने कहा कि आज तेली समाज राजनीतिक रूप से सिर्फ इसलिए पिछड़ा है क्योंकि समाज में एकता की कमी है। उन्होंने कहा कि जब तक हम राजनीतिक रूप से जागरूक और संगठित होकर अपने हक के लिए आंदोलन नहीं करेंगे, तब तक हमारी मांगों पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।

केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जिन परंपराओं को आदिवासी समाज मानता है, उन सारी परंपराओं को हम भी मानते हैं। उन्होंने कहा कि जनसंख्या के दृष्टिकोण से भी हम आदिवासियों के बराबर हैं। इसके बाद भी सरकार इस समाज की लगातार उपेक्षा करती आयी है।

महारैली को संबोधित करते हुए समाज के युवा नेता और स्व. तिलेश्वर साहू के पुत्र अरूण साहू ने कहा कि उनके पिता ने समाज के हक के लिए अपना बलिदान दिया। वह चाहते थे कि खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा जैसे क्षेत्रों से चुनाव लड़ें ताकि विधानसभा में समाज का प्रतिनिधित्व हो। लेकिन आरक्षण के कारण वे चुनाव नहीं लड़ सके। अंततः समाज विरोधी तत्वों ने उनकी हत्या कर दी।

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