कानपुर। उर्सला अस्पताल में कोतवाली का दारोगा अपनी बीमार मां को भर्ती करने के लिए डॉक्टरों से गुहार लगाता रहा, पैर पकड़ कर एडमिट के लिए गिड़गिड़ता रहा, लेकिन डाक्टरों का दिल नहीं पसीजा। वह अपनी मां को गोद में लिए था, कर्मचारियों से स्ट्रेचर की मांग की, पर वह भी नहीं मिली। मां की आंखें बाहर निकल आई तो खाकीधारी उन्हें अपनी गोद में लेकर प्राइवेट अस्पताल की तरफ भागा। एक किमी. के बाद उसे एक अस्पताल नजर आया तो उसने मां को वहां पर एडमिट कराया, यहां पर उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
कोतवाली में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात राजेश कुमार दीक्षित की मां सोनकली (88) की अचानक तबीयत खराब हो गई। पत्नी ने ड्यूटी पर तैनात पति को जानकारी दी। वह घर आकर मां को लेकर उर्सला अस्पताल पहुंचे।
ऑटो में मां को बिठाकर वह इमरजेंसी वार्ड आया और वहां मौजूद डॉक्टरों से मां को एडमिट करने के लिए कहा और स्ट्रेचर की मांग की। 10 मिनट तक डॉक्टरों और कर्मचारियों ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया तो वह मां को गोद में लेकर अस्पताल परिसर में आ गए।
बावर्दी में होने के बावजूद डॉक्टरों ने सुनी फरियाद सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार बावर्दी थे और वह अपनी मां को अस्पताल में एडमिट करने के लिए फरियाद कर रहे थे लेकिन डॉक्टर उनकी बीमार मां का इलाज करने के बजाए उनको देखकर हंस रहे थे।
राजेश कुमार ने बताया कि वह अस्पताल के अधीक्षक के पास मां को गोद में लेकर पहुंचे, लेकिन उनके रूम के बाहर ताला लटक रहा था। अस्पताल की ओपीडी में मां को लेकर गए, लेकिन डॉक्टर ने हाथ लगाने से इंकार कर दिया।
सब इंस्पेक्टर ने कहा कि जब खाकीधारी के साथ उर्सला के डॉक्टर ऐसा बर्ताव करते हैं तो यह आम पब्लिक की क्या सुनते होंगे। सरकार को ऐसे डॉक्टरों का इलाज करना चाहिए।
इस मामले पर सीएमओ आर.पी. यादव ने बताया कि मैं अस्पताल में नहीं हूं। ग्रीनपार्क मैच के लिए बैठक कर रहा हूं।अगर ऐसा कोई मामला आया है तो पीड़ित मेरे पास आकर पूरे प्रकरण की लिखित शिकायत दे। हम पूरे मामले की सवतः जांच कर आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे। बता दें, अभी कुछ महीने पहले एक 12 साल के बच्चे की स्ट्रेचर न मिलने पर बाप के कंधे पर उसकी मौत हो गई थी तब ज़िला प्रशासन जागा था तब हैलट अस्पताल में स्ट्रेचर और अन्य चीजों की व्यवस्था ठीक करने का दावा किया गया था।