इलाहाबाद। दरगाह में जंजीरों से बांधकर मानसिक रोगियों का इलाज करने पर नाराज हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जतायी है। कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है कि एक दरगाह में मानसिक रोगियों का इलाज जंजीरों और रस्सियों में बांधकर किया जा रहा है और जिला प्रशासन इसे हल्के में ले रहा है।
कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी को स्वयं इसे देखना चाहिए था और यदि इस प्रकार इलाज की बात सही है तो कार्रवाई करनी चाहिए थी।
मुहिम संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ तब नाराज हुई जब सरकार की तरफ से यह बताया गया कि हिम्मतगंज स्थित मुनव्वर शाह बाबा की दरगाह पर मानसिक रोगियों के हथकड़ी व जंजीर में बांधकर इलाज करने का कोई प्रमाण नहीं मिला।
जबकि याचिकाकर्ता ने फोटोग्राफ दिखाकर कोर्ट को बताया कि ये तस्वीरें बयां कर रही हैं कि वहां जंजीरों में बांधकर ही मानसिक रोगियों का इलाज होता है। कोर्ट ने दरगाह में इस प्रकार के क्रियाकलाप में लिप्त वहां के पदाधिकारी को तलब किया था।
कोर्ट ने कहा कि दरगाह कमेटी के पदाधिकारी अगली सुनवाई की तारीख दो दिसम्बर को भी उपस्थित रहेंगे। साथ ही उनकी हाजिरी माफ करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने जिलाधिकारी से कहा है कि वह मौका मुआयना कर दरगाह में हो रहे ऐसे अमानवीय इलाज की रिपोर्ट दें और बताये कि वे कौन हैं जिनके हाथ-पैर जंजीर से बांधे हुए फोटो पेश की गयी है।