चेन्नई. छात्राओं को अंतरंग और अश्लील मैसेज भेजने के आरोप में एक अध्यापक को गिरफ़्तार कर लिया गया है.बच्चों का आरोप था कि ऑनलाइन क्लास के दौरान उनके अध्यापक का व्यवहार अनुचित होता है.
यह चेन्नई के एक प्रतिष्ठित स्कूल का मामला है. इस मामले में अब स्कूल प्रबंधन ने कहा है कि उन्हें इसकी कोई शिकायत नहीं मिली थी और अब, चूंकि यह मामला बच्चों ने उठाया है तो इसके ख़िलाफ़ निष्पक्ष तरीक़े से कार्रवाई की जायेगी.
स्कूल के कुछ छात्रों और पूर्व छात्रों द्वारा मामले को उठाये जाने के बाद, कुछ नामी हस्तियों ने भी सोशल मीडिया पर यह मामला उठाया. इससे मामले ने तूल पकड़ा। आखिरकार स्कूल प्रबंधन ने इस अध्यापक को निलंबित कर दिया और चेन्नई पुलिस ने पॉक्सो एक्ट 2012 की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ़्तार कर लिया.
दर्जनों कांड उजागर
इस एक मामले ने अब कई अन्य मामलों से पर्दा उठा दिया है. चेन्नई के कई और महँगे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने सोशल मीडिया के ज़रिये अपने बुरे तजुर्बे साझा किये हैं.
इनमें से बहुत सी शिकायतें तमिलनाडु के बाल अधिकार आयोग तक पहुँची हैं जिनमें बच्चों ने विभिन्न स्तर के दुर्व्यवहार के संबंध में लिखा है.
इस बीच चेन्नई पुलिस ने शिकायतकर्ता बच्चों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि अगर वे शिकायत करते हैं तो उनकी जानकारी गुप्त रखी जायेगी और उसपर कार्रवाई होगी.
तमिलनाडु की एक मशहूर अभिनेत्री ने भी इस बारे में सोशल मीडिया पर लिखा है. उन्होंने इस मामले को लेकर अपने अनुभव भी साझा किये हैं.
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उन्होंने बताया है कि कैसे उनके एक शिक्षक बच्चों में जाति के आधार पर भेदभाव करते थे, कैसे छात्रों के साथ बुरा बर्ताव करते थे और फब्तियाँ कसते थे. उन्होंने लिखा है कि हाल में आये मामलों ने उनकी पुरानी यादों को ताज़ा कर दिया है.
इन मामलों में बच्चों के माता-पिता और छात्र, दोनों ही मीडिया के साथ किसी तरह की जानकारी साझा करने को तैयार नहीं हैं.
तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अनबिल महेश ने वादा किया है कि अगर शिक्षकों की ग़लती पायी गई, तो उनके ख़िलाफ़ बहुत सख़्त कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा है कि इन शिकायतों को जमा करने और इन पर कार्रवाई करने के लिए अलग से कमेटी का गठन किया जायेगा.
तमिलनाडु बाल अधिकार आयोग के सदस्य वी रामराज ने बताया कि स्कूल प्रबंधन को नोटिस दिया है. 4 जून को इस मामले में पहली सुनवाई होनी है. कई बच्चे सामने आए हैं जिन्होंने अब अपने साथ हुए दुर्व्यवहार पर बोलने की हिम्मत जुटाई है. ये शिकायतें बताती हैं कि इन स्कूलों में बच्चों की सुनवाई नहीं हो रही, लिहाज़ा ये बच्चों के लिए ठीक नहीं. बल्कि एक समाज के तौर पर भी हम उन्हें यह भरोसा नहीं दे पा रहे कि स्कूल से निकलने के बाद भी वो इस बारे में कह पायें.