चेन्नई। तमिलनाडु में भारी बारिश के बीच लोग खौफ के साये में जी रहे हैं। लोगों को इस बात का भी डर है कि कहीं दिसंबर 2015 में चेन्नई को तबाह करने वाली बाढ़ की पुनरावृत्ति न हो जाए। दरअसल, सड़कों की हालत नदी और तालाब जैसी हो गई। चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है। सड़कें जगह-जगह से उखड़ गई हैं। फसलें तबाह हो गई हैं। इस मामले में सरकार की विफलता से लोगों में खासी नाराजगी है।
विपक्ष का कहना है कि मौसम विभाग ने भारी बारिश को लेकर काफी पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी, लेकिन स्टालिन सरकार ने समय रहते ऐहतियाती कदम नहीं उठाए। यदि सरकार समय पर चेत जाती तो शायद स्थिति इतनी बुरी नहीं होती। लोगों को नई सुबह का वादा करने वाली द्रमुक सरकार निचले इलाकों से पानी निकालने और सुरक्षा व्यवस्था करने में बुरी तरह नाकाम रही। मौसम केंद्र ने आने वाले तीन दिनों के लिए गरज के साथ बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी दी है।
भारी बारिश के अलावा बांध से यहां करीब 13,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण महानगर के कई इलाके तथा तमिलनाडु के अन्य उत्तरी क्षेत्र जलमग्न हो गए। कई क्षेत्रों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बिजली काट दी गई। बारिश से सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है। पिछले 4 दिनों से यहां आई बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है, सड़कें जलमग्न हो गई हैं और यातायात का मार्ग परिवर्तित होने से लोगों को बड़ी दिक्कतें आ रही हैं।
बृहस्पतिवार शाम तक दबाव का क्षेत्र गुजर जाने के साथ तमिलनाडु के अधिकांश उत्तरी क्षेत्रों में बारिश में कमी देखी गई और लोगों को आवश्यक सामान खरीदने के लिए स्थानीय बाजारों में जाते देखा गया।
14 लोगों की मौत
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई और अन्य उत्तरी क्षेत्रों में बृहस्पतिवार को भारी बारिश हुई जबकि यहां बंगाल की खाड़ी पर बना दबाव का क्षेत्र शाम को चेन्नई तट के पार चला गया। राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में 14 लोगों की मौत हो चुकी है, फसलें जलमग्न हो गयी हैं, पेड़ उखड़ गए हैं और 1,000 से अधिक झोपड़ियों को नुकसान पहुंचा है।
मवेशियों की मौत, सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त
राज्य भर में बारिश से संबंधित घटनाओं में मानसून के मौसम में अभी तक 157 मवेशियों की मौत हो चुकी है, 1,146 झोपड़ियां और 237 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। जलभराव के कारण उपनगरीय ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया। हालांकि बाद में सेवाएं बहाल कर दी गईं।