नई दिल्ली। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्यूटी की सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने तथा मातृत्व अवकाश को 26 सप्ताह करने वाले विधेयक को गुरुवार को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गई है।
राज्यसभा ने ग्रेच्युटी और मातृत्व अवकाश बढ़ाने संबंधी ग्रेच्यूटी भुगतान (संशोधन)विधेयक 2017 आज बिना चर्चा के ही पारित कर दिया। लोकसभा ने इस विधेयक को पिछले सप्ताह बिना चर्चा के पारित किया था। इसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गई है। इस प्रकार विधेयक को बिना बहस के ही दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई।
सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कार्यवाही शुरू होने पर बताया कि सभी दलों के सदस्यों के बीच ग्रेच्यूटी संबंधी विधेयक को बिना चर्चा के पारित कराने पर सहमति बनी है। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2017 पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
विधेयक में सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की तर्ज पर निजी के क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने और महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि मौजूदा 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए सरकार बाद में अधिसूचना जारी करेगी।
ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2018 के पारित होने से निजी क्षेत्रों और सार्वजनिक क्षेत्र के उन कर्मचारियों के बीच ग्रेच्युटी को लेकर समानता हो गई जो सीसीएस (पेंशन) नियम के तहत नहीं आते हैं। ऐसे कर्मचारी भी अपने समक्ष सरकारी कर्मचारियों की तरह ग्रेच्युटी की उच्चतम राशि पाने के हकदार हो जाएंगे।
ग्रेच्युटी भुगतान कानून, 1972 उन प्रतिष्ठानों में लागू होता है जिनमें 10 या उससे अधिक लोग काम करते हैं। इस कानून के तहत वर्तमान में ग्रेच्युटी की अधिकतम राशि 10 लाख रुपए है। सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों की ग्रैच्युटी की अधिकतम राशि बढ़कर 20 लाख रुपए हो गई थी।
निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों के मामले में भी मुद्रास्फीति और वेतन वृद्धि को देखते हुए सरकार ने फैसला किया कि ग्रेच्युटी भुगतान कानून, 1972 के तहत आने वाले कर्मचारियों के लिए भी ग्रेच्युटी के अधिकार में संशोधन किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, विधेयक में महिला कर्मचारियों के मामले में ग्रेच्युटी के लिए निरंतर सेवा की गणना से संबंधित प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव है, जिसमें मातृत्व अवकाश के मामले में 12 सप्ताह से लेकर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित अवधि तक की छुट्टी शामिल है।
विधेयक में ग्रेच्युटी की राशि की सीमा अधिसूचित करने का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया है ताकि वेतन में वृद्धि, मुद्रास्फीति और भविष्य में वेतन आयोगों को देखते हुए समय-समय पर ग्रेच्युटी की सीमा को संशोधित किया जा सके।