अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने बच्चाें के खिलाफ यौन अपराधों से बचाव संबंधी कानून पोक्सो एक्ट से जुड़े एक मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में बुधवार को कहा कि नाबालिग के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाने पर भी इस कानून के तहत प्रस्तावित न्यूनतम दस साल की सजा से बचा नहीं जा सकता।
न्यायाधीश एमआर शाह और न्यायाधीश एवाई कोगजे की खंडपीठ ने राज्य और केंद्र सरकार को यह भी आदेश दिए कि यह पोस्को कानून के बारे में और बेहतर ढंग से प्रचार करे ताकि नई पीढ़ी के कई युवा ऐसी सजा से बच सके जिससे उनका पूरा करियर और जीवन का एक महत्वपूर्ण दशक बर्बाद हो सकता है।
पोस्को कानून से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि सरकार को इस बारे में समाचार पत्रों, रेडियो, टेलीविजन, पर्चों और अन्य माध्यमों के जरिये पोस्को कानून की इस व्यवस्था के बारे में अधिक से अधिक प्रचार करना चाहिए ताकि लोगों में इस संबंध में जागरूकता आ सके।
अदालत ने इसके समक्ष विचाराधीन एक मामले में आरोपी को दस साल की सजा सुनायी और कहा कि अदालत कानूनी प्रावधानों का पालन करने को बाध्य है और यह ऐसे मामले में विवेकाधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
अदालत ने गुजरात के मुख्य सचिव, गृह सचिव अौर माध्यमिक शिक्षा सचिव और अन्य संबंधित प्राधिकारियों को राज्य में भी पोस्को कानून के बारे में प्रचार करने के निर्देश दिए।