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केदारनाथ धाम में हेली सेवा का किराया 4 हजार रुपए बढ़ा

केदारनाथ धाम

नई दिल्ली. केदारनाथ धाम में हेली सेवा (Kedarnath Heli Seva) के लिए अब आपको फ्लेक्सी किराया (Flexi Fare Model) देना पड़ेगा. उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) ने पहली बार धार्मिक यात्राओं (Dharmik Yatra) में फ्लेक्सी किराया मॉडल लागू किया है.
केदारनाथ धाम में हेली टिकटों की बुकिंग सेवा की जिम्मेदारी रेलवे की कंपनी इंडियन रेलवे केटरिंग ऐंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) पर है. आईआरसीटीसी ने रेलवे की तर्ज पर ही अब हेली सेवाओं के लिए भी देश में पहली बार फ्लेक्सी सेवा लागू किया है. ऐसे में अब गुप्तकाशी से केदारनाथ धाम का किराया 7 हजार 740 रुपये से बढ़ाकर 11 हजार 800 रुपये हो गया है.
आईआरसीटीसी ने पहली बार देश में कमर्शियल हवाई सेवाओं में धार्मिक यात्राओं में फ्लेक्सी मॉडल लागू किया है.इसमें देर से टिकट बुक करने पर यात्रियों को अधिक किराया देना पड़ता है. पहले गुप्तकाशी से केदारनाथ धाम के आने-जाने का किराया प्रति सवारी 7, 740 रुपये था. अब यह बढ़कर 11 हजार 800 रुपया यानी प्रति सवारी 4000 रुपये बढ़ गया है.
रेलवे के बाद अब हेली सेवा में फ्लेक्सी मॉडल लागू
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण का तर्क अलग है. प्राधिकरण के सीईओ सी रविशंकर के मुताबिक, पिछले साल टिकट ब्लैक मार्केटिंग की शिकायतें आई थीं. ऐसे में इस बार बिना बुकिंग पहुंचने वालों के लिए यह व्यवस्था की गई है, ताकि अवैध वसूली नहीं हो. आपको बता दें कि पिछले महीने के 22 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू किया गया था. 25 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुले थे. इसी दिन से यहां पर हेली सेवा शुरू की गई थी.
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) ने पहली बार केदारनाथ हेली टिकटों की बुकिंग का जिम्मा आईआरसीटीसी को दिया है. आईआसीटीसी ने इस यात्रा के लिए heliyatra.irctc.co.in वेबसाइट पर टिकट बुकिंग सुविधा लॉन्च किया था. पहले दिन ही केदारनाथ हेली सेवा की टिकट 30 अप्रैल तक फुल हो गई थी. शुरूआत में वेबसाइट में कुछ तकनीकी दिक्कतें आई थी, जिसे बाद में ठीक कर लिया गया था.
बता दें कि देश में फ्लेक्सी फेयर पॉलिसी रेलवे ने अपनी कुछ प्रीमियम श्रेणी की हाई स्पीड ट्रेनों में सर्ज प्राइस लागू किया था. देश में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम को 9 सितंबर, 2016 से राजधानी, दुरंतो और शताब्दी ट्रेनों में शुरू किया गया था और इस प्रणाली के तहत निर्धारित सीमा के अधीन, बेची जाने वाली प्रत्येक 10 प्रतिशत बर्थ के लिए मूल किराए में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है. रेलवे ने पिछले साल 15 ट्रेनों से फ्लेक्सी फेयर सिस्टम खत्म कर दिया था, लेकिन अब भी तकरीबन 100 ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर वसूला जाता है.