नई दिल्ली। मतदान केंद्र के 100 मीटर की परिधि में चुनाव प्रचार पर रोक के बावजूद आपने कांग्रेसियों को अपना पंजा दिखाकर प्रचार करते देखा होगा। इंसानी शरीर का अंग होने के कारण आसानी से यह मुमकिन हो जाता है। मगर अब इसी को आधार बनाकर बीजेपी ने कांग्रेस से उसका चुनाव चिह्न पंजा छीनने के लिए कमर कस ली है।
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता एवं सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव आयोग से कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का ‘पंजा’ रद्द करने की मांग की है।
ये दिए तर्क
उपाध्याय का कहना है कि किसी भी पार्टी को इंसानी शरीर के किसी अंग को अपना चुनाव निशान बनाने की इजाजत नहीं मिलनी।
पहले यह था कांग्रेस का सिम्बल
उपाध्याय ने बताया कि चुनाव आयोग ने पहले कांग्रेस को ‘बैलों की जोड़ी और उनके कंधे पर रखा संबंधक (योक)’ का निशान दिया था। बाद में पार्टी दो फाड़ होने पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस को ‘एक गाय और उसके दूध पीते बछड़े’ का चुनाव निशान दिया।
पार्टी में एक और विभाजन होने के बाद चुनाव आयोग ने ‘हथेली’ या ‘हाथ का पंजा’ का चुनाव निशान दिया जबकि छह राष्ट्रीय पार्टियों में से केवल एक को ही इंसानी शरीर के अंग का निशान दिया गया है।
उन्होंने कहा है कि 75 राज्य स्तरीय दलों में से भी किसी को इंसानी शरीर का कोई अंग चुनावी निशान के तौर पर नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा है कि आचार संहिता साफ तौर पर कहती है कि मतदान की तारीख से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा। चुनाव के दिन भी मतदान स्थल के 100 मीटर के पास चुनाव निशान नहीं दिखाया जा सकता है, लेकिन कांग्रेसी उम्मीदवार अपनी हथेली दिखाकर अपने चुनाव निशान का प्रचार करते हैं। उन्होंने ऐसी घटनाओं का भी हवाला दिया है, जब चुनाव अधिकारी से कांग्रेसी उम्मीवारों और एजेंटों की इस हरकत की शिकायत की गई थी।
उन्होंने कहा है कि 2007 में एमसीडी के चुनाव में दिल्ली के तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष रामबाबू शर्मा को इसी आधार पर चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया था और बाद में चेतावनी देकर छोड़ दिया था। बीजेपी नेता उपाध्याय का कहना है कि चुनाव के दिन भी कांग्रेसी उम्मीदवार और एजेंट हाथ हिलाकर अपने चुनाव निशान का प्रदर्शन करते हैं और वोट की अपील करते हैं। इसे रोकने के लिए चुनाव आयोग को कांग्रेस का निशान बदलना चाहिए और हाथ के पंजे या हथेली को चुनाव निशानों की अपनी सूची से भी हटा लेना चाहिए।
कांग्रेस के चुनाव निशान – हाथ के पंजे को नहीं बदला जाता है तो इससे संविधान के अनुच्छेद 324 और रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट 1951 की धारा 130 के अनुसार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का उल्लंघन होता रहेगा।