नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल के दाम में बेतहाशा बढोतरी के विरोध में सोमवार को अयोजित कांग्रेस के ‘भारत बंद’ को वाम दलों तथा तृणमूल कांग्रेस ने भले ही सीधा समर्थन नहीं दिया है और अलग से विरोध प्रदर्शन का फैसला किया है लेकिन जिस तरह से विपक्षी दल मोदी सरकार के विरुद्ध एकजुट हैं, उससे साफ है कि इस बंद में उन्हें अपनी ताकत दिखाने का मौका मिलेगा।
कांग्रेस ने अपने महासचिवों तथा प्रदेश कांग्रेस नेताओं के साथ दो दिन पहले यहां लम्बी बैठक की और उसके बाद दस सितम्बर को पेट्रोल और डीजल की आसमान छू रही कीमतों तथा रुपए में ऐतिहासिक गिरावट के खिलाफ बंद का ऐलान किया है।
पार्टी ने विभिन्न दलों के नेताओं से इसमें शामिल होने का आग्रह किया और कहा कि यह बंद कांग्रेस का नहीं बल्कि सभी दलों का है। भाजपा की नीतियों के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे 17 विपक्षी दलों में से अधिकत्तर उसके समर्थन में हैं।
तृणमूल कांग्रेस ने खुद को भारत बंद से अलग रखा है लेकिन कहा है कि उसके कार्यकर्ता उसी दिन महंगाई के विरुद्ध प्रदर्शन करेंगे। पश्चिम बंगाल में सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस ने अपने सभी कर्मचारियों को बंद से दूर रहने और कार्यालयों में उपस्थित होने को कहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने बंद को प्रदेश की जनता के हितों के खिलाफ और समय की बर्बादी बताया है।
वाम दलों ने कांग्रेस के ‘भारत बंद’ में शामिल होने की बजाय उसी दिन केंद्र सरकार के खिलाफ ‘राष्ट्रीय हड़ताल’ करने का ऐलान किया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने बंद का समर्थन करने की घोषणा करते हुए सभी लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की है। तमिलनाडु में द्रविड मुन्नेत्र कषगम ने भी बंद का समर्थन किया है।
कर्नाटक में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे जनता दल-एस ने बंद का समर्थन किया है और कहा है कि वह कांग्रेस के साथ जिला तथा राज्य मुख्यालय में प्रदर्शन करेगी। लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव ने बंद का समर्थन किया है और देशवासियों से इसमें शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह बंद पेट्रोल, डीजल तथा आवश्यक वस्तुओं की कीमतें नियंत्रित करने के लिए मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए है।