इटावा। उड़ीसा कालाहांडी के दाना मांझी की कहानी देश के हर राज्य में आए दिन दोहराई जा रही है। केवल जमीन बदलती है, सरकार बदलती है, मगर कंधे वही रहते हैं। इस बार भी एक कंधे को अपने की लाश ढोनी पड़ी। कहने को सरकारों के पास हजारों-सैकड़ों एम्बुलेंस होती हैं मगर किसी गरीब के काम नहीं आती, खासकर तब जब उसे अपनों की लाश ले जानी पड़ती हो।
इस बार उत्तर प्रदेश में एक पिता को अपने बेटे की लाश कंधे पर ढोनी पड़ी। डॉक्टरों ने उसे भी एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराई। यह मामला सोशल मीडिया पर उछला को जनता की नजर में आया।
दरअसल इटावा में सोमवार को उदयवीर सिंह नामक व्यक्ति अपने बीमार बेटे पुष्पेंद्र (15) को गंभीर हालत में सरकारी अस्पताल में लेकर आया। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया और लाश ले जाने को कहा।
उदयवीर ने एम्बुलेंस मांगी तो उसे बताया गया कि लाश ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं दी जाती। वह बाहर से निजी एम्बुलेंस हायर कर ले जाए। गरीब उदयवीर की जेब में इतने पैसे नहीं थे कि एम्बुलेंस ले पाता।
उसने किशोरवय बेटे की लाश कंधे पर उठाई और रोते हुए घर की ओर चल दिया। रास्ते में लोगों ने यह देखा तो उसके फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दिए।
वही रटारटाया जवाब
जब मीडिया ने इस संबंध में इटावा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव यादव से बात की तो उन्होंने रटारटाया जवाब दिया कि उसी समय सड़क हादसे में घायल कई लोग अस्पताल में आ गए थे। शायद इसी वजह से उदयवीर को एम्बुलेंस नहीं मिल पाई हो। संबंधित डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
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