भुवनेश्वर/दिल्ली। उड़ीसा के आदिवासी दाना मांझी का अस्पताल से एम्बुलेंस नहीं मिलने पर पत्नी का शव कंधे पर लेकर 12 किलोमीटर तक पैदल लौटने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लेकिन इस पूरे प्रकरण को लेकर राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम उठता नहीं दिख रहा। इस संबंध में संबंधित प्रखंड के एसडीएम से लेकर जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक सहित तमाम अधिकारी बातचीत के लिए उपलब्ध नहीं हुए। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के कार्यालय में भी कोई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद नहीं था।
प्रशासनिक लापरवाही की जांच-पड़ताल के लिए जब मीडिया ने उड़ीसा के कालाहांड़ी जिला प्रशासन की वेबसाइट पर मौजूद जिला कलेक्टर ब्रूंदा डी से बात करने की कोशिश की, तो कालाहांडी जिला प्रशासन की वेबसाइट पर मौजूद लैंडलाइन नंबर गलत बताया गया, वहीं जिला कलेक्टर के मोबाइल पर कोई जवाब नहीं मिला। यहीं हाल कालाहांड़ी के पुलिस अधीक्षक ब्रजेश कुमार राय के कार्यालय का है। इतना ही नहीं कालाहांड़ी के अतिरिक्त जिलाधीश चंद्रमानी बदनायक, प्रोजेक्ट निदेशक विनीत भारद्वाज और भवानीपटना के एसडीएम सुकांता कुमार त्रिपाठी से भी फोन पर लगातार कोशिशों के बावजूद संपर्क नहीं हो पाया।
मीडिया ने जब उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के कार्यालय में फोन किया, तो ना तो मुख्यमंत्री, ना ही उनके प्रधान सचिव उपेंद्रनाथ बेहरा से बात हो पाई। कार्यालय में मौजूद कर्मचारी ने बताया कि मुख्यमंत्री को शुक्रवार को बेंगलुरु जाना है, इसीलिए कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि इस संबंध में जिला कलेक्टर को एक रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसके अलावा संबंधित अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई, इसे लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में किसी को जानकारी नहीं थी।
उड़ीसा के कालाहांडी जिले के भवानीपटना प्रखंड में रहने वाले गरीब दाना मांझी की पत्नी को स्थानीय सरकारी अस्पताल में तपेदिक का इलाज कराने के लिए मंगलवार को भर्ती कराया गया, जहां मंगलवार रात को ही उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई। अस्पताल की एंबुलेंस के किराए के लिए पैसे ना होने पर दाना मांझी को अपनी पत्नी का शव अपने कंधे पर उठाकर पैदल लौटना पड़ा। उस पूरे घटनाक्रम के दौरान उसकी 12 साल की बेटी भी उसके साथ थी।
जानकारी हो कि करीब दो दशक पहले कालाहांडी अपने अकाल और भुखमरी से हुई मौतों के लिए पूरी दुनिया में चर्चित हुआ था।