देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग बुझाने के लिए एयर ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के अनुरोध पर केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए एमआई-17 हेलीकाप्टर ने टिहरी बांध के जलाशय से पानी लेकर अग्नि प्रभावित क्षेत्र में छिड़कना शुरू कर दिया है। वनाग्नि को रोकने का यह एयर आपरेशन आगे भी अभी जारी रहेगा।
भारत सरकार ने वायु सेना के हेलीकाप्टर उपलब्ध कराए हैं। फिलहाल एक एमआई-17 हेलीकाप्टर का उपयोग किया गया। गढ़वाल में टिहरी जनपद अन्तर्गत नरेन्द्रनगर वन प्रभाग की नरेन्द्रनगर रेंज में वनाग्नि को बुझाने का कार्य किया गया। दूसरा हेलीकाप्टर हल्द्वानी पहुंच चुका है। उसका भी उपयोग किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने मांग किए जाने पर प्राथमिकता से तत्काल एमआई-17 हेलीकाप्टर उपलब्ध कराए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारत सरकार का आभार व्यक्त किया।
गौरतलब है कि रविवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बात कर उत्तराखंंड के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर दिए जाने का अनुरोध किया था।
वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए वन विभाग तत्पर है। विभाग के अधिकारियों और कर्मचरियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है। स्थानीय लोगों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय, नरेन्द्रनगर वन प्रभाग, मुनिकीरेती द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वायु सेना के एमआई-17 हेलीकाप्टर के माध्यम से जंगलों में आग को बुझाने की कवायद प्रारम्भ की गई। जिसके प्रारम्भिक चरण में गढ़वाल में आज टिहरी जनपद अन्तर्गत नरेन्द्रनगर वन प्रभाग की नरेन्द्रनगर रेंज में अदवाणी क.सं-04 एवं तमियार (फकोट ब्लॉक, टिहरी) में वनाग्नि को बुझाने का कार्य किया गया।
सुबह 8:30 बजे हेलीकॉप्टर देहरादून एयरपोर्ट पर उतरा। प्रारम्भिक तैयारियों के पूर्ण होने के उपरान्त प्रातः 10:00 बजे एयर ऑपरेशन प्रारम्भ किया गया, जिसमें प्रारम्भिंक रैकी कार्य प्रभावित क्षेत्रों के ऊपर दो बार किया गया।
तद्पश्चात कोटी कॉलोनी, टिहरी झील से 5,000 लीटर की बकेट में पानी भरकर वनाग्नि से प्रभावित जंगलों में पानी का 04 सोर्टियों के माध्यम से दो बार 10,000 लीटर पानी का छिड़काव कर बस्ती की ओर बढ़ रही वनाग्नि को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
एयर ऑपरेशन दोपहर कल 12:40 बजे तक जारी रहा तथा बाद में प्रतिकूल मौसम के कारण ऑपरेशन को रोकना पड़ा। इस सम्पूर्ण ऑपरेशन में वायु सेना के साथ ही उत्तराखण्ड सरकार के विभिन्न महकमों यथा-वन विभाग, सिविल एविएशेन विभाग, जिला प्रशासन, एवं स्थानीय स्टाफ ने भी इस काम में सहयोग दिया गया।