नई दिल्ली । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अंतर्राज्यीय जल समझौते के तहत ताजेवाला हैड से राजस्थान को आवंटित यमुना जल राजस्थान को दिलाने का केन्द्र सरकार से आग्रह किया है।
गहलोत ने नई दिल्ली में रेणुकाजी बांध बहुउददेश्यीय परियोजना के लिए छह राज्यों के मध्य हुए अनुबंध पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित समारोह में यह अनुरोध करते हुए कहा कि ताजेवाला हैड से राजस्थान को आवंटित यमुना जल के सम्बंध में हरियाणा सरकार द्वारा अब तक सहमति नहीं देने से राजस्थान पिछले चौबीस वर्षों से अपने हिस्से के पानी से वंचित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस कारण प्रदेश के चुरू, झुन्झुनूं एवं सीकर जिले के लोग सिंचाई सुविधा एवं पेयजल से वंचित हो रहे है। इसी प्रकार ओखला हेड से भी राज्य के भरतपुर जिले को अपने हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने बताया कि ताजेवाला हैड पर आवंटित जल को राजस्थान ले जाने के लिए वर्ष 1994 में पांच राज्यों के मध्य हुए एमओयू के तहत वर्ष 2003 से हरियाणा सरकार से एमओयू पर हस्ताक्षर के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे है, इसमें समय लगने से परियोजना की लागत में अत्यधिक वृद्धि हुई हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार को एमओयू पर शीघ्र सहमत कराये जाने के लिए निर्देश प्रदान किये जाने का आग्रह भी किया जिससे राजस्थान को उसके हिस्से का जल प्राप्त हो सके।
उन्होंने बताया कि गत 17 वर्षो के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान को उपलब्ध पानी का लगभग 40 प्रतिशत पानी ही प्राप्त हुआ हैं। जिसका मुख्य कारण सही मात्रा में पानी नहीं छोड़ा जाना एवं पानी का अवैध दोहन किया जाना है। उन्होंने केन्द्र सरकार से हरियाणा एवं उत्तरप्रदेश राज्यों को अपने क्षेत्र में राजस्थान के हिस्से के जल का अवैध दोहन रोकने एवं राज्य के हिस्से का पानी दिलाने का निर्देश देने का आग्रह किया।
गहलोत ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी से आग्रह किया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के माध्यम से राजस्थान के तेरह जिलों झालावाड, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोकं , जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर एवं धौलपुर जिलों में पेयजल एवं दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर मध्यप्रदेश द्वारा अर्न्तराज्यीय जल के संबध में किये जा रहे आक्षेप सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि परियोजना की रिर्पोट राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के मध्य वर्ष 1999 एवं 2005 मे हुए समझोते के अनुसार बनाई गयी है। अतः मध्यप्रदेश के आक्षेपों को खारिज कर पूर्वी राजस्थान की नहर परियोजना की डीपीआर का केन्द्रीय जल आयोग से शीघ्र अनुमोदन कराया जाना चाहिए।
इंसेंटिवाइजेसन स्कीम फॉर ब्रिजिंग इरीगेशन गेप (आईएसबीआईजी) योजना की चर्चा करते हुए गहलोत ने बताया कि राजस्थान में केन्द्र सरकार के सिंचित क्षेत्र विकास एवं जल प्रबंधन कार्यक्रम ( सीएडीडब्ल्यूएम) के तहत केंद्रीय सहायता से चल रही सात परियोजनाओ को अप्रैल 2017 से बन्द कर दिया गया है तथा इसके स्थान पर इंसेंटिवाइजेसन स्कीम फॉर ब्रिजिंग इरीगेशन गेप योजना प्रस्तावित की गई है परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा योजना के क्रियान्वयन के लिए अभी दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए है जिसकी वजह किसानों का सिंचाई का वांछित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
गहलोत ने बताया कि इस योजना के तहत पूर्व में संचालित सात परियोजनाओं मे शेष बचे 6 लाख 83 हजार 656 हेक्टेयेर कमांड क्षेत्र तथा राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित आठ नवीन योजनाओं के 3 लाख 5 हजार 862 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र के लिये कुल 6193 करोड रूपये केन्द्र सरकार की मंजूरी के लिये लंबित हैै। उन्होने कहा कि राज्य के 9 लाख 89 हजार 518 कमांड क्षेत्र को लाभान्वित करने वाली इन परियोजनाओ केा शीघ्र मंजूरी प्रदान कर केन्द्रीय सहायता जारी कराई जाये जिससे किसानों को वांछित लाभ दिलवाया जा सके।