भारी किलेबंदी को तोड़ने में सक्षम
नई दिल्ली। अर्जुन टैंक के लिए विशेष रूप से बनाए गए गोलों का परीक्षण पूरी तरह सफल रहा है। ओड़िशा स्थित चांदीपुर फायरिंग रेंज में किए गए परीक्षण के दौरान गोलों ने अपनी विध्वंसक क्षमता को दर्शाते हुए अपने लक्ष्य को नष्ट कर दिया।
रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को यहां बताया कि डीआरडीओ की पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एवं डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (एआरडीई) और हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (एचईएमआरएल) ने अर्जुन टैंक के लिए विशेष गोले तैयार किए हैं। इन गोलों में कुछ रासायनिक तत्वों का प्रयोग किया गया है, जिससे यह भारी लोहे की प्लेट और कंक्रीट की दीवार को भेदने के साथ ही भारी किलेबंदी को तोड़ने में सक्षम है।
इन विशेष गोलों को पेनेट्रेशन कम ब्लास्ट (पीसीबी) और थर्मोबारिक (टीबी) का नाम दिया गया है। दो दिन पहले ओडिशा के चांदीपुर में इन गोले का परीक्षण किया गया, जोकि पूरी तरह सफल रहा। परीक्षण के दौरान अर्जुन टैंक से दागे गए नए गोलों ने अपने सभी लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। इस दौरान एचईएमआरएल और पीएक्सई के निदेशक, डीक्यूआरएस के निदेशक, सेना के कई प्रतिनिधि और डीआरडीओ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह एक अभूतपूर्व परीक्षण था, जिसका मूल्याकंन पहली बार भारत में किया गया और यह अर्जुन टैंक की फायर शक्ति की दिशा में एक लंबी छलांग है।