नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर जानी एनपीआर लाने की तैयारी कर रही है। हो सकता है आने वाले दिनों में एनपीआर को जल्द ही मंजूरी भी मिल सकती है। गौरतलब है कि यह नया एनपीआर नहीं होगा। साल 2011 में जनगणना से पहले एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी। जनगणना की प्रक्रिया के तहत ही साल 2010 में घर घर जाकर पूछताछ की जाती है उसी के तहत एनपीआर का प्रावधान किया गया था। इसके बाद 2015 में अपडेट किया गया और इसका डिजिटलीकरण किया गया। अब एक बार फिर इसे अपडेट किया जाएगा।
फिलहाल एनपीआर के मसौदे को लेकर स्पष्टीकरण नहीं है। साल 2021 में जनगणना होनी है, एनपीआर नवीकरण की प्रक्रिया के तहत अगर किसी के परिवार में कोई सदस्य जुड़ा है तो उसका नाम इसमें डाला जाएगा। इसके साथ ही जो लोग माइग्रेट करके इधर से उधर जाते हैं, उनका नाम भी जोड़ा जाएगा। जानकारी के मुताबिक अब जो एनपीआर बनाया जाएगा उसमें यह भी जोड़ा जाएगा कि अगर किसी व्यक्ति के अभिभावक कहां पैदा हुए, इसे लेकर भी जानकारी मांगी जाएगी।
इस बिंदु को लेकर विवाद भी सामने आ रहा है। हालांकि एक बार फिर स्पष्ट कर दें कि एनपीआर के नवीनीकरण का मसौदा तैयार नहीं है। ये है मोदी सरकार का नया एनपीआर। डेटाबेस में डेमोग्राफी और बायोमेट्रिक की जानकारी होगी।देश के हर नागरिक की पहचान का डेटाबेस तैयार करना उद्देश्य है। 6 महीने या इससे ज्यादा समय से किसी इलाके में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी। 2011 जनगणना के साथ 2010 में एनपीआर का डेटाबेस तैयार किया गया था।
गैर भाजपा शासित राज्य विरोध में
सीएए और एनआरसी की तरह गैर-बीजेपी शासित राज्य एनपीआर का भी विरोध कर रहे हैं, और इसमें सबसे आगे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वालीं ममता बनर्जी ने तो बंगाल में एनपीआर पर जारी काम को भी रोक दिया है। इसके अलावा केरल की लेफ्ट सरकार ने भी एनपीआर से संबंधित सभी कार्यवाही रोकने का आदेश दिया है।
आपको बता दें कि एनपीआर देश के सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है और नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे एनपीआर में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है।
जनगणना का हिस्सा है एनपीआर
एनपीआर भी जनगणना का हिस्सा है लिहाजा उसे रोका नहीं जा सकता। यह अधिकार केंद्र सरकार के पास है कि वह इस मामले में जमीनी तौर पर लागू कराने के लिए किसे नोडल अधिकारी नियुक्त करें। बता दें कि केरल सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि वो एनपीआर का विरोध करेगी। गैर भाजपा शासित सरकारें भले ही केंद्र सरकार के बहु प्रतीक्षित एनपीआर का विरोध करें लेकिन वह इसे रोक नहीं सकती हैं।