नई दिल्ली। अफगानिस्तान स्थित मज़ार-ए-शरीफ में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए आतंकी हमले में मारे गए आतंकवादियों ने मरने से पहले अपने रक्त से उर्दू में एक सन्देश लिखा था कि वह अफज़ल गुरु को फांसी दिए जाने पर उसका प्रतिशोध लेना चाहते थे।
अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी राजनीतिक विश्लेषक मोहम्मद ताक़ी के अनुसार भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए आतंकी हमले में मारे गए आतंकवादियों ने मरने से पहले अपने रक्त से उर्दू में एक सन्देश लिख कर दावा किया था कि वह अफज़ल गुरु को फांसी दिए जाने पर उसका प्रतिशोध लेना चाहते थे। अफज़ल गुरु को भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले में दोषी पाए जाने के बाद 2013 में फांसी दी गई थी।
ताक़ी ने कहा यह संदेह भी हो रहा है कि पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के भीतर कुछ ऐसे तत्व हैं जिन्होंने तालिबान की सहायता की थी और अब अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय हितों पर आक्रमण के लिए आतंकियों की सहायता कर रहे हैं ताकि पाकिस्तान के भारत की साथ शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारा जा सके।
ताक़ी का कहना है कि पठानकोट एयर बेस पर हमला मोदी-नवाज़ की शांति वार्ता को रोकने के लिए किया गया था और इस ढंग से किया गया था कि केवल सैन्य सुविधा पर धावा बोला जा सके, न कि मुंबई आक्रमण की भांति तबाही मचाने के लिए। मक़सद केवल इतना था कि वार्ता को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने हाल ही में शांति प्रक्रिया शुरू की थी और भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की एक आकस्मिक यात्रा की थी।