लखनऊ। किसानों की नगदी आय का प्रमुख स्रोत गन्ना है। इसकी खेती करने वाले किसान न सिर्फ होने वाली आय से अपने घर-परिवार का खर्च चलाते हैं बल्कि विभिन्न प्रकार के उत्पादों को तैयार कर अपनों को स्वस्थ भी रखने का प्रयास करता है। इन उत्पादों में गुड़ का महत्व वैदिक काल से ही बताया गया है।
गोरखपुर स्थित गन्ना किसान प्रशिक्षण संस्थान के सहायक निदेशक ओमप्रकाश गुप्ता की मानें तो भारतीय समाज में गुड़ का महत्व वैदिक काल से ही है। मांगलिक अवसर या पूजा-पाठ का समय, गुड़ का उपयोग हर जगह होता है। इतना ही नहीं, खेत-खलिहाल में काम करने वालों से लेकर घर-परिवार के सदस्यों को भी गुड़ का सेवन करने की सलाह दी जाती रही है। पोषक तत्वों से परिपूर्ण गुड़ सिर्फ खाद्य पदार्थ ही नहीं, औषधि के रूप में भी उपयोग होता रहा है। गन्ने के रस से बनने वाले इस गुड़ के औषधीय गुणों का उल्लेख चरक संहिता में भी मिलता है। इसके रचयिता महर्षि पुनर्वसु ने गुड़ के औषधीय गुणों की बखान की है। इसे शल्य चिकित्सा में उपयोगी भी बताया है।
गुणवान गन्ना
गन्ना को दांत से चूसने से चेहरा सुन्दर बनाता है। पेट साफ रहता है। यह कफ निवारक है। शक्ति प्रदाता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ और घी का भोग देवताओं को प्रसन्न करने वाला है। शायद यही वजह है कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में अतिथि सत्कार गुड़ खिलाकर पानी पिलाने की है। किन्तु वर्तमान में गुड़ का स्थान (ग्रामीण क्षेत्रों में), चाय एवं बिस्कुट लेने लगा है। तत्काल उर्जा देने वाले गुड़ का रस अब अतिथियों को देने से परहेज किया जा रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण संबंधी बीमारियों से बचाता है गन्ना
गन्ना ब4 पौधा है। यहे अधिक गर्मी सहने में सक्षम है। अन्य फसलों की तुलना में इसमें अधिक पानी मिलता है। चैड़ी पत्तियों की वजह से इसमें वातावरण से अधिक बव2 अवशोषित करने का गुण है। यही वजह है कि जिस क्षेत्र में गन्ना की खेती लार्जस्केल पर होती है, वहां अधिक वर्षा होती है। कई वैज्ञानिक शोधों से इसे सिद्ध किया है। इससे पर्यावरण प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों से बचाने में भी कारगर है।
स्वास्थ्य गुणों की खान गुड़
स्वास्थ्य के लिए आवश्यक कैल्शियम, आयरन तथा विटामिन बी आदि की आवश्यकता होती है। ये सभी गुड़ में मिलते हैं। हालांकि अब बाजार में केमिकल से बने गुण की भरमार है। अगर केमिकल मुक्त गुण को हम खाएं तो हमें ढेर सारी बीमारियों में लाभ मिलेगा। कुछ बीमारियां तो ऐसी हैं, इसका सेवन करने मात्रा ही दूर भाग जाएंगीं।
बीमारियों में होगा लाभ
आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत ने ‘सुश्रुतसंहिता’ में लिखा है कि गन्ना मधुर (मीठा) होता है। यह मानव जीवन में मधुरता लाता है। इसके अलावा यह मधुर परिपाक वाला होने के साथ इसमें शीतल गुण होता है। यही वजह है कि गुड़, चिकनाहट उत्पन्न करने वाली बीमारियों के निदान में कारगर है। बलदायक और शक्तिप्रदाता है। मूत्र संबंधी बीमारियों में कारगर है। पित्त शांत करने वाला है। कफ को दूर करता है औऱ कृमिनाशक है। शायद यही वजह है कि विदेशी आक्रांता सिकन्दर ने भी गन्ने को शहद की छड़ी बताया। जिसे चूसने मात्र से ही शहद जैसे गुणों वाला स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्द्धक खाद्य पदार्थ मिलता है।
यह भी जानें
-गुड़ को दूध में हल्दी के साथ मिलाकर पीएं, शरीर का दर्द ठीक होगा।
-गुड़, पाचन शक्ति बढाता है। भोजन को सुपाच्य बनाता है। इसलिए भोजन के बाद थोड़ा सा गुड़ अवश्य खायें।
-गुड़, क्षय, खांसी, क्षीणता, रक्त की कमी आदि रोगों में हितकारी है। हीमोग्लोबिन बढाता है।
-गुड़ वातनाशक, पित्तनाशक, मूत्रशोधक तथा घाववर्धक होता है।
-पीलिया जैसे रोग नियंत्रण में औषधीय व केमिकल मुक्त गुड़ लाभकारी है। गन्ना चूसना रामबाण है। पीलिया जल्दी ठीक होती है। इसलिए गन्ना तैयार होने वाले मौसम में उसे चूसने की आदत डालें।
गुड़कारी महिया
गुड़ तैयार होने के ठीक पहले की स्थिति में तरल रूप में तैयार गुड़ ही महिया हैं। इसमें 15-25 प्रतिशत ग्लूकोज होता है, जबकि ठोस गुड़ में 5-15 प्रतिशत। चीनी में ग्लूकोज पाया ही नहीं जाता है, इसलिए यह नुकसानदायक है। चीनी में 99 प्रतिशत सुक्रोज होता है। सुक्रोज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। चीनी निर्माण में बहुत सारे केमिकल्स प्रयोग लाए जाते हैं जबकि गुड़ को प्राकृतिक पौधों के उपयोग से साफ करने की परंपरा सदियों पूर्व से चली आ रही है।
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पोषक तत्वों से भरपूर
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सुक्रोज 60-85 प्रतिशत
ग्लूकोज 05-15 प्रतिशत
प्रोटीन 0.4 प्रतिशत
वसा 0.1 प्रतिशत
कैल्शियम 0.8 प्रतिशत
आयरन 1.1 प्रतिशत