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संत नामदेव की जन्मभूमि नर्सी की यात्रा संपन्न

नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। जिला हिंगोली महाराष्ट्र स्थित संत नामदेव की जन्मभूमि नर्सी नामदेव के दर्शनों के लिए गत रविवार को विदर्भ के नामदेवबंधुओं ने श्रवण बालक यात्रा का आयोजन किया। समाजबंधु नामदेव महाराज की जन्मभूमि के दर्शन कर अभिभूत हो उठे। इस दौरान विदर्भ से करीब 400 लोग मौजूद थे। इनमें समाज के बुजुर्गजन के साथ ही महिलाएं व बच्चे भी थे। नांदेड़ के समाजबंधुओं ने आत्मीयता से उनका स्वागत किया।
श्रवण बाल यात्रा के नाम से इस यात्रा का आयोजन अमरावती शिम्पी समाज संगठन के बैनरतले अनिल नाना जावरकर ने किया। इस यात्रा का उद्देश्य देशभर के समाजबंधुओं को नर्सी के बारे में अवगत कराना है ताकि देश के कोने-कोने से नामदेव बंधु यहां आकर दर्शन कर सकें।

यहां एक गुरुद्वारा है जिसका नाम संत शिरोमणी नामदेव गुरुद्वारा है। नर्सी में साढ़े तीन करोड़ रुपए के विकास कार्य चल रहे हैं। अमरावती के समाजबंधुओं ने 21 हजार रुपए का सहयोग दिया। मंदिर के मुख्य मार्ग को नामदेव महाराज नाम दिया जाना चाहिए ऐसा प्रस्ताव विदर्भ और मराठवाड़ा के नामदेव बंधुओं ने दिया है।


इस श्रवण बालक यात्रा का कॉन्सेप्ट अनिल नाना जावरकर का है। उन्होंने दो लक्जरी बसोंं का इंतजाम किया। इनमें समाज के बुजुर्गों को संत नामदेव जन्मभूमि के दर्शन कराए। इसके अलावा एक लक्जरी बस संगठन ने और एक बस वर्धा के नामदेव बंधुओं ने की। नांदेड़ के समाजबंधुओं ने बैंडबाजे के साथ उनका स्वागत किया। इसका पूरा श्रेय नंदूभाऊ कोस्बकटवर साहब को जाता है। उप जाति भुलाकर एक छत्र के नीचे सभी एक थे। विदर्भ से भास्कर टोम्पे, चंद्रकांत टाठे, अनंत जगजोड़, नरेश रुद्रकर, राजा तलहर, जावरकर बंधु, गुणवंत वाकरे, सलमे पिहुलकर, पेंडके और पूरा समाज सपरिवार था। समाजबंधुओं ने गुरुद्वारा कमेटी का सत्कार कर आभार माना। राजेश रापते, टोम्पे साहब और मंदिर के अध्यक्ष ने उद्बोधन दिया। सभी ने संत नामदेव की जन्मस्थली, प्राचीन मंदिर आदि के दर्शन किए।
जावरकर का मानना है कि जिस प्रकार श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को चारधाम की यात्रा कराई थी, उसी प्रकार उनकी इच्छा है कि समाज के बुजुर्ग माता-पिता नर्सी नामदेव तीर्थ की यात्रा कर पुण्य कमाएं। इसके लिए उन्होंने श्रवण बाल यात्रा का आयोजन किया।