-डॉ. प्रीतेश राठोड
आदरणीय बंधुओं,
जय श्री नामदेव,
किसी जगह पर चारों ओर अँधेरे में कुछ भी न दिखता हो, वहां अगर हम एक छोटा सा दीपक जला देंगे तो वह छोटा सा दीपक चारों ओर फैले अँधेरे को एक पल में दूर कर देगा| इसी तरह आशा व विश्वास की एक सारे नकारात्मक विचारों को एक पल में मिटा सकती है|
नकारात्मकता को नकारात्मकता समाप्त नहीं कर सकती, नकारात्मकता को तो केवल सकारात्मकता ही समाप्त कर सकती है | इसीलिए जब भी कोई छोटा सा नकारात्मक विचार मन में आये उसे उसी पल सकारात्मक विचार में बदल देना चाहिए|
उदाहरण के लिए अगर किसी विद्यार्थी को परीक्षा से 20 दिन पहले अचानक ही यह विचार आता है कि वह इस बार परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाएगा तो उसके पास दो विकल्प है – या तो वह इस विचार को बार-बार दोहराए और धीरे-धीरे नकारात्मक पौधे को एक पेड़ बना दे या फिर उसी पल इस नेगेटिव विचार को पॉजिटिव विचार में बदल दे और सोचे कि कोई बात नहीं अभी भी परीक्षा में 20 दिन यानि 480 घंटे बाकि है और उसमें से वह 240 घंटे पूरे दृढ़ विश्वास के साथ मेहनत करेगा तो उसे उत्तीर्ण होने से कोई रोक नहीं सकता| अगर वह नेगेटिव विचार को सकारात्मक विचार में उसी पल बदल दे और अपने पॉजिटिव संकल्प को याद रखे तो निश्चित ही वह उत्तीर्ण होगा|
यही बात समाज के इस सम्माननीय मंच पर भी प्रभावित हो सकती है। क्योंकि अल्पायु का विद्यार्थी अगर सकारात्मक सोचकर जीवन के घटनाक्रम को बदलने के लिए अगर सक्षम हो तो नामदेव समाज का विशाल जनसंघ क्या नहीं कर सकता ?
निश्चित ही नामदेव समाज, समाज को माँ भारती की छत्रछाया में विशिष्ट पहचान दिलाएगा।