नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। देश के प्रतिष्ठित देहली पब्लिक स्कूल प्रशासन कानून से कैसे खिलवाड़ कर रहा है, इसका खुलासा हुआ है। स्कूल प्रबंधन ने हाल ही अजमेर में अपनी ब्रांच खोली है लेकिन इसके लिए शिक्षा विभाग से मान्यता नहीं ली गई है। सूचना के अधिकार के तहत यह उजागर हुआ। खुद शिक्षा विभाग भी इस हाई प्रोफाइल स्कूल प्रबंधन के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
डीपीएस प्रबंधन ने हाल ही ब्यावर रोड पर शानदार बिल्डिंग बनवाकर अपनी ब्रांच शुरू की। यहां एडमिशन होने के साथ ही सेशन भी शुरू हो चुका है। स्कूल खोलने में नियमों का कितना पालन किया गया, इसका खुलासा तब हुआ जब एक भाजपा नेता ने आरटीआई का सहारा लिया। रामगंज निवासी सुदर्शन शर्मा ने जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक कार्यालय से आरटीआई के तहत सूचना मांगी तो चौंकाने वाला जवाब मिला। विभाग ने बताया कि डीपीएस ने इसके लिए शिक्षा विभाग से मान्यता नहीं ली है।
उठे कई सवाल
देश के सबसे मशहूर स्कूलों में शुमार डीपीएस प्रबंधन ने यहां राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग से मान्यता नहीं लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कानून सबके लिए समान नहीं है या फिर बड़े घराने और गु्रप खुद को कानून से ऊपर समझते हैं। सरकार भी ऐसे बड़े गु्रप के आगे नतमस्तक नजर क्यों आती है। हाल ही अजमेर शहर में शिक्षा विभाग ने एनएसयूआई कार्यकर्ताओं की शिकायत पर एक निजी स्कूल बंद करवा दिया। इस स्कूल प्रशासन के पास भी शिक्षा विभाग की मान्यता नहीं थी। अब सवाल यह है कि क्या विभाग और सरकार डीपीएस जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के खिलाफ कार्रवाई करेगा क्योंकि मान्यता तो उसके पास भी नहीं है।
इधर किशनगढ़ में मिलते-जुलते नाम वाले स्कूल को मान्यता
देश के नामी गिरामी देहली पब्लिक स्कूल की लोकप्रियता किशनगढ़ में भुनाई जा रही है। मार्बल नगरी में डीपीएस पब्लिक स्कूल के नाम से एक शिक्षण संस्था खुल चुकी है। डीपीएस से मिलते जुलते नाम की गफलत में कई अभिभावक इसे दिल्ली का मशहूर स्कूल मानकर अपने बच्चों का एडमिशन करा रहे हैं। रोचक बात यह है कि इस स्कूल में बच्चों की गणवेश भी डीपीएस से मिलती-जुलती है। शिक्षा विभाग ने मिलते-जुलते नाम वाले स्कूल को मान्यता कैसे दे दी, यह रहस्य बना हुआ है। फिलहाल डीपीएस का नाम किशनगढ़ में भी चर्चा में बना हुआ है।