नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट NEET में अलग-अलग भाषा में अलग-अलग पेपर तैयार करने पर CBSE को फटकार लगाई है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हर भाषा में तैयार किए गए एग्जाम पेपर एक जैसे होने चाहिए।
इस साल NEET हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 8 लैंग्वेज में हुआ था। इसमें असमी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, कन्नड़, उड़िया, तमिल और तेलुगु शामिल हैं। परीक्षार्थियों के कहना था कि क्षेत्रीय भाषा वाले पेपर अत्यधिक कठिन थे। जबकि कुछ का आरोप है कि स्थानीय भाषा वाला पेपर सरल था जबकि अंग्रेजी में कठिन पेपर दिया गया था।
इस मामले में पहले एक पिटीशन मदुरै बेंच में लगाई गई। इसमें कहा गया कि रीजनल लैंग्वेज में पूछे गए सवाल अंग्रेजी लैंग्वेज में पूछे गए सवालों के मुकाबले आसान थे।
जबकि गुजरात हाईकोर्ट में एक पिटीशन दाखिल कर कहा गया था कि गुजराती में पूछे गए सवाल अंग्रेजी के मुकाबले कठिन थे। इस बारे में सीबीएसई का कहना था कि सभी पेपर मॉडरेटर्स ने तय किए थे। उन्होंने इनका डिफिकल्टी लेवल एक जैसा रखा था।
संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की पिटीशन पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा नाराजगी जताते हुए कहा कि हम एक जैसे सवाल चाहते हैं। हमें बताएं आप इसे कैसे करने वाले हैं। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 अक्टूबर तय की है।
क्या है नीट
मेडिकल और डेंटल कॉलेज में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस में एंट्रेस के लिए आयोजित टेस्ट को NEET कहते हैं। इससे उन कॉलेजों में भी एंट्री मिलती है, जो मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया और डेटल कांउसिल ऑफ इंडिया के तहत मान्यता प्राप्त होते हैं।