श्री नामदेव जी महाराष्ट्र के एक सुप्रसिद्ध संत थे। वे विट्ठल भगवान के बहुत बड़े भगत हुए हैं। उनका ध्यान सदा विट्ठल भगवान के दर्शन, भजन और कीर्तन में ही लगा रहता था। सांसारिक कार्यों में उनका जरा भी मन नहीं लगता था। . वे एकादशी व्रत के प्रति पूर्ण …
Read More »अब लगा वाकई सही था यह फैसला!
कोशिश चंद महीनों की लेकिन टीस थी कई सालों की। पत्रकारिता करते हुए 20-22 साल हो चुके हैं। दैनिक भास्कर राजस्थान पत्रिका दैनिक नवज्योति जैसे बड़े अखबारों में काम किया। पत्रिका में तो एक दशक से ज्यादा वक्त तक डेस्क इंचार्ज रहा। निष्पक्ष तरीके से हर छोटे बड़े समाज को …
Read More »मौत की यह है सच्चाई
किसी नगर में एक धनवान व्यक्ति रहता था। वह बड़ा विलासी प्रकृति का था। उसके मन में हमेशा भोग-विलास के विचार चलते रहते थे। एक दिन संयोग से किसी संत से उसका संपर्क हुआ। वह संत से अपने भोगी और अशुभ विचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने लगा। संत …
Read More »यूं चूर हुआ चांगदेव का अभिमान
चांगदेव महाराज सिद्धि के बल पर 1400 वर्ष जीए थे। उन्होंने मृत्यु को 42 बार लौटा दिया था। उन्हें प्रतिष्ठा का बड़ा मोह था। उन्होंने सन्त ज्ञानेश्वर की कीर्ति सुनी। उन्हें सर्वत्र सम्मान मिल रहा था । चांगदेव से यह सब सहा न गया। वे ज्ञानेश्वर से जलने लगे। चांगदेव …
Read More »असली पारस
संत नामदेव की पत्नी का नाम राजाई था और परीसा भागवत की पत्नी का नाम था कमला। कमला और राजाई शादी के पहले सहेलियां थीं। दोनों की शादी हुई तो संयोग से पड़ोस में ही आ गईं। राजाई नामदेव जी जैसे महापुरुष की पत्नी थी और कमला परीसा भागवत जैसे …
Read More »किसी की अच्छाई का इतना फायदा न उठाएं कि…
अस्यो ओ सम्मेलन रो ब्याव
अजमेर के वयोवृद्ध समाजसेवी प्रेमराज सरावगी की रचना जो पुष्कर से प्रकाशित नामदेव संदेश पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने इसे ‘नामदेव न्यूज डॉट कॉम’ के पाठकों के लिए उपलब्ध कराया है। सम्मेलन रो ब्याव देखने आया कर-कर चाव । अस्यो ओ सम्मेलन रो ब्याव ।। कामणयां निकली कर …
Read More »जब विट्ठल बने सखू बाई
करवीर नामक तीर्थ क्षेत्र में अनेक वर्ष पूर्व सखू का ससुराल था। उसके पति का नाम दिगंबर था। उनके साथ उसकी सास भी रहती थी। उसकी सास कठोर थी । वह सखू को अत्यधिक पीड़ा देती थी। उसे भूखा रखती थी, पीटती भी थी, सुबह से रात्रि तक वह सखू …
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