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धर्म-कर्म

Video : स्वामी शांतानन्द व हिरदाराम साहेब का जीवन दर्शन महोत्सव एवं संत समागम शुरू

अजमेर/पुष्कर। जहां संत पहुंच जाएं वह भूमि पवित्र हो जाए, जो मायामोह से दूर है, जिसकी चित्त की वृत्ति प्रकाश होती है वह ही शांतानन्द है। ऐसे आशीर्वचन अनन्त विभूषित महामण्डलेश्वर स्वामी गुरुशरणानन्द महाराज ने स्वामी शांतानन्द व स्वामी हिरदाराम साहिब के जीवन दर्शन पर सत्संग भवन का शुभारंभ, धर्म …

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नामदेव छीपा समाज मन्दिर में राष्ट्रीय सन्त बगाड़े महाराज के प्रवचन

न्यूज नजर डॉट कॉम पाली। नामदेव छीपा समाज के श्री श्याम मन्दिर में शुक्रवार को सत्संग का आयोजन किया गया। इसमें समाज के राष्ट्रीय संत रामकृष्ण जगन्नाथ बगाडे जी पंढरपुर पुणे से पधारे। समाज के अध्यक्ष राजेश पाटनेचा ने बताया कि बगाडे महाराज ने अपनी ओजस्वी प्रेरणा दायक वाणी से धर्मलाभ …

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जानिए क्या होता है मलमास, क्यों मनाया जाता है पौष बड़ा

न्यूज नजर : सूर्य दिनांक 16 दिसम्बर को धनु राशि के मूल नक्षत्र में प्रातः 9 बजकर 11 मिनट पर प्रवेश करेंगे। सूर्य का धनु राशि में प्रवेश मल मास व पौष संक्रांति के नाम से जाना जाता है। 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा तब मल …

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देव कोई वाणी नहीं करता, भविष्यवाणी ग्रहों के अनुमान हैं

  न्यूज नजर : देव अर्थात एक अदृश्य शक्ति जो प्रकृति को अपनी इच्छा के अनुसार चलाती है। जिसका रंग रूप आकार प्रकार किसी को दिखाई नही देता है। वो कब क्या करेगी इस की कोई वाणी नहीं होती। यह जमीनी स्तर का सत्य है। निश्चित ऋतु चक्र में भी …

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बालक का मुंडन संस्कार करना क्यों होता है जरूरी, जानिए इसकी वजह

न्यूज नजर : हमारे देश में बहुत सी ऐसी परम्पराएं और मान्यताएं हैं जिन्हें हम हज़ारो वर्षो से मानते आ रहे है। बच्चे भगवान का रूप होते है लेकिन जब भी घर में बच्चा पैदा होता है तो उसके जन्म के कुछ ही समय बाद मुंडन करवाया जाता है। मुंडन …

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कालचक्र ने सभी के पांव उखाड़ दिए, चाहे हो सूरमा

न्यूज नजर : काल चक्र ने बिना भेदभाव किए सभी को धराशायी कर दिया। चाहें वह दुनिया का शहंशाह रहा हो या फकीर। उनके भी पांव उखड़ गए जो किसी भी शक्ति के सूरमा ही क्यो ना रहे हों।   इस जगत में आकर प्राणी अपने चंद स्वार्थो की पूर्ति के …

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मैं आग हूं, जलाती हूं, नाम और जाति नहीं पूछती

  न्यूज नजर : विभिन्नता में एकता की एक सुन्दर प्रस्तुति करती हुई आग यह संदेश देती है कि हे मानव कि मैं जलाने में किसी से भी कोई परहेज नहीं करती। चाहे चंदन की लकड़ियां हों बबूल के कांटे। मेरा धर्म केवल जलाना है। इसलिए व्यक्ति किसी भी धर्म, …

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जीत का हकदार आखिर कौन…?

न्यूज नजर : संस्कृति के सागर में मर्यादा और अमर्यादा दोनों ही उलझ पड़ी। दोनों ही अपनी-अपनी विशेषता के तराने ढोल नगाड़े और शहनाइयों की गूँज में सुनाने लगी। दोनों ने ही दमदारी दिखाई और कम नहीं पड़ी। क्योंकि दोनों ही बुद्धि की फसलें थी। मर्यादा की फसल पर अमर्यादा के …

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