दास ने हालांकि, यह भी कहा कि केन्द्र और राज्यों दोनों पर ही राजस्व का दबाव बना हुआ है। उन्हें देश और लोगों को कोविड- 19 महामारी से उत्पन्न दबाव से बाहर निकालने के लिये अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। ऐसे में राजस्व की जरूरत और सरकारों की मजबूरी पूरी तरह से समझ में आती है। लेकिन इसके साथ ही यह भी समझने की जरूरत है कि इसका मुद्रास्फीति पर भी प्रभाव पड़ता है। पेट्रोल और डीजल के ऊंचे दाम का विनिर्माण उत्पादन … की लागत पर प्रभाव होता है।
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक डिजिटल मुद्रा पर आंतिरक तौर पर काफी काम कर रहा है और जल्द ही एक व्यापक दिशानिर्देश के साथ प्रगति दस्तावेज जारी किया जायेगा। संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हम एआरसी के मामले में नियामकीय ढांचे को बेहतर और उन्नत कर रहे हैं। नये बजट में बैंकों के फंसे कर्ज के प्रबंधन के लिये एआरसी बनाने की घोषणा की गई है। शक्तिकांत दास ने कहा कि इससे मौजूदा एआरसी की गतिविधियों पर कोई असर नहीं होगा। गवर्नर ने कंपनियों को स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में अधिक निवेश करने की जरूरत पर भी जोर दिया।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि भारत सफलता की राह पर आगे बढ़ने की दहलीज पर खड़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बारे में उन्होंने कहा कि इसके लेकर बैंक की कुछ चिंतायें हैं जिन्हें सरकार के साथ साझा किया गया है। दास ने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र आज पहले के मुकाबले कहीं बेहतर स्थिति में है, केन्द्रीय बैंक ने बैंकों में दबाव वाली संपत्ति बढ़ने के मामले में सटीक विचार किया। ‘‘जैसे ही हमें दबाव वाली संपति के बारे में कोई संकेत मिलेगा हम तुरंत बैंकों के साथ बातचीत करेंगे और समस्या के निदान के लिये सक्रियता के साथ काम करेंगे।