नई दिल्ली। देश मे जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों की नींद उड़ी हुई है। वे सरकार को गच्चा देने के लिए नए-नए जुगाड़ लगा रहे हैं।
जीएसटी से बचने के लिए कई दुकानदार एक जोड़ी जूते को अलग-अलग कर बेच रहे हैं और इसके लिए दो अलग-अलग बिल भी बना रहे हैं। वह, इसलिए कि अलग-अलग बेचने से जूते की जोड़ी की कीमत आधी हो जाती है और उस पर टैक्स कम बनता है। इससे ग्राहकों को कोई फायदा नहीं हो रहा है लेकिन दुकानदार बचत कर रहे हैं।
दरअसल 500 रुपए से कम के फुटवेयर पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है जबकि उससे अधिक कीमत के फुटवेयर पर 18 फीसदी टैक्स लगाया गया है।
मान लीजिए अगर एक जोड़ी जूते की कीमत 900 रुपए है तो दुकानदार अलग-अलग 450-450 रुपए के बिल बना रहे। इस पर उन्हें 10 फीसदी ही टैक्स देना पड़ रहा है। इस तरह दुकानदार 8 फीसदी टैक्स बचा रहे हैं।
ये भी पीछे नहीं रहे
कई कपड़ा दुकानदार सलवार सूट से अलग बेच रहा है। 1,000 रुपए से कम कीमत के कपड़ों पर पर 5 फीसदी जीएसटी तय किया गया और उससे अधिक की कीमत पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। ऐसे में दुकानदार इन्हें दो हिस्सों में बेचकर टैक्स बचा रहे हैं।
इतना ही नहीं बासमती चावल बेचने वाली एक कंपनी ने विज्ञापन देकर अपना ब्रांड बनाया और अब उसने अपना ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन वापस लेने की तैयारी कर ली है। इस कंपनी ने व्यापारियों को बिना ट्रेडमार्क वाले ब्रांड पर टैक्स छूट लेने का दावा भी करने को कहा है।
हालांकि सरकार ने जीएसटी की विभिन्न दरों को लेकर अफवाह दूर करने के लिए सरकार ने मोबाइल एप लॉन्च किया है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से लॉन्च ‘जीएसटी रेट फाइंडर’ नाम के एप में वस्तुओं एवं सेवाओं पर दरों की पूरी लिस्ट दी गई है।
जून का स्टॉक बताकर चीजें बेच रहे
जीएसटी की वजह से महंगी हुई जिन वस्तुओं की बिक्री जुलाई स्टॉक से हो रही है, रिटेलर्स उन्हें जून के स्टॉक का बता रहे है। जबकि जून स्टॉक की सस्ती हुई वस्तुओं की बिक्री को वे जुलाई स्टॉक की बता रहे हैं।