मुंबई। वोडाफोन टैक्स विवाद एक बार फिर गरमा गया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी को 14,200 करोड़ की टैक्स डिमांड के मामले में रिमाइंडर भेजते हुए रकम अदा नहीं करने पर उसके एसेट्स जब्त करने की धमकी दी है। आईटी विभाग के इस एक्शन पर कंपनी ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। कंपनी ने कहा है कि इस एक्शन से टैक्स फ्रेंडली माहौल बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादों और टैक्स डिपार्टमेंट के बीच साफ तौर पर तालमेल का अभाव दिखता है।
आईटी विभाग ने चार फरवरी को ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स बीवी को एक नोटिस भेजा था। इसमें कंपनी से टैक्स के रूप में 14,200 करोड़ रुपए की राशि देने के लिए कहा गया है। अपने नोटिस में आईटी विभाग ने कहा है कि यह टैक्स 2007 में हचिंसन वैमपोआ के भारतीय टेलीकॉम बिजनेस के 11 बिलियन डॉलर के अधिग्रहण के समय से बकाया है। यह मामला इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन के समक्ष भी पहुंच चुका है।
वोडाफोन ने हचिंसन में 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने पर जारी इस टैक्स डिमांड को चुनौती दी थी। हचिंसन को अब वोडाफोन इंडिया कहा जाता है। कंपनी का कहना है कि इस मामले में उसके पास कोई टैक्स बचा हुआ नहीं है, क्योंकि यह ट्रांजैक्शन ऑफशोर हुआ था। वोडाफोन के प्रवक्ता ने नोटिस की पुष्टि करते कहा कि हमें टैक्स डिपार्टमेंट से एक टैक्स रिमाइंडर मिला है। टैक्स अदा नहीं करने की स्थिति में कंपनी के एसेट्स को जब्त करने की धमकी भी दी गई है।
टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि भारत में बनाए गए एसेट्स पर कैपिटल गेंस टैक्स चाहिए। वोडाफोन ने यह भी कहा है कि 2014 में भारत सरकार ने कहा था कि वोफाफोन टैक्स विवाद समेत सभी टैक्स विवादों का निपटारा वर्तमान न्यायिक प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा।
कंपनी ने इस मामले में मोदी द्वारा मुंबई में आयोजित मेक इन इंडिया समारोह में शनिवार को कही गई बात भी सामने रखी। वोडाफोन ने कहा कि मेक इन इंडिया वीक के दौरान पीएम ने फॉरेन इन्वेस्टर्स के लिए टैक्स फ्रेंडली माहौल बनाने की बात की। इससे साफ लगता है कि सरकार और टैक्स डिपार्टमेंट के बीच पूरी तरह से तालमेल का अभाव है।