नई दिल्ली। पहले पेट्रोल-डीजल से उत्पाद शुल्क घटाने के बाद मोदी सरकार फिर बैकफुट पर है। जीएसटी के क्रियान्वयन को लेकर अपनों-बेगानों की तीव्र आलोचनाओं का सामना कर रही सरकार ने कारोबारियों, निर्यातकों और छोटे कारोबारियों की चिंताएं दूर करने के लिए शुक्रवार रात कई कदमों की घोषणा की।
इसके तहत सरकार ने आम उपभोग की 27 वस्तुओं की दरें घटा दी, जिसमें रोटी, खाखरा, नमकीन, स्टेशनरी, मानव निर्मित धागे शामिल हैं, और इनमें से अधिकांश को पांच प्रतिशत कर की श्रेणी में लाया गया है।
दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं में जरी का काम, गैरब्रांडेड आयुर्वेदिक दवा, सूखा आम, ई-कचरा, प्लास्टिक और रबर कचरा पर कर घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। स्टेशनरी वस्तुओं, डीजल इंजन पुजरें, पंप पुर्जे, संगमरमर और ग्रेनाइट को छोड़कर फर्श के बाकी पत्थर पर कर को घटाकर 18 प्रतिशत की श्रेणी में रखा गया है।
कई वस्तुओं के आयात पर जीएसटी खत्म कर दिया गया है, जिसमें तेल एवं गैस उत्खनन के लिए रस्सियां और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा मुफ्त आपूर्ति की जाने वाली दवाओं और 5,000 रुपये तक के प्रामाणिक उपहार शामिल हैं।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद की दिनभर चली 22वीं बैठक के बाद यह घोषणा की। बैठक में विभिन्न कारोबारों के सामने आ रहीं समस्याओं पर विचार किया गया।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी में मौजूद दिक्कतों को सुलझाने का वादा किया था।
जेटली ने निर्यातकों को राहत देते हुए कहा कि जुलाई और अगस्त के रिटर्न क्रमश: 10 अक्टूबर और 18 अक्टूबर से चेक के जरिए रिफंड किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह एक अंतरिम राहत होगी, और दीर्घकालिक कदम के रूप में सभी निर्यातकों के लिए पहली अप्रेल 2018 तक ई-वालेट तैयार कर दिए जाएंगे, ताकि रिफंड प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद 1.5 करोड़ रुपए कारोबार वाले एसएमई को मासिक रिटर्न भरने के बदले तिमाही रिटर्न भरने की अनुमति देने पर सहमत हो गई। इससे लगभग देश के 90 प्रतिशत करदाताओं को राहत मिलेगी।
जीएसटी में समायोजन योजना की सीमा 75 लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गई है। जम्मू एवं कश्मीर और झारखंड को छोड़कर विशेष श्रेणी वाले राज्यों के कारोबार की सीमा 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 75 लाख रुपए कर दी गई है।