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पेट्रोल पंप संचालकों की छूटती रही धुकधुकी

सन्तोष खाचरियावास @ अजमेर

दिन 10 फरवरी, दिल ‘वरी’… जी हां, राजस्थान में जहां सभी लोग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस कार्यकाल के आखिरी बजट में राहतों को लेकर आशान्वित थे, वही राज्य के तमाम पेट्रोल पंप संचालकों की धुकधुकी छूटती रही। किसी भी पल उन्हें दो से तीन लाख रुपए का फटका लग सकता था। उनका पूरा दिन आशंका में बीता। शाम होते-होते हलक में जान लौटी और उनकी प्रतिक्रिया आई…बजट अच्छा है।
दरअसल, इस बार आमजन को मुख्यमंत्री गहलोत से पेट्रोल-डीजल के वैट में कमी की उम्मीद थी। राज्य में पेट्रोल 108 रुपए प्रतिलीटर बिक रहा है। लोग जबरदस्त परेशान हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में कमी के बावजूद तेल कम्पनियां पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटा रही हैं। खुद पेट्रोलियम मंत्री हरदीपसिंह पुरी भी तेल कम्पनियों से दाम कम कर जनता को राहत पहुंचाने की ‘अपील’ कर चुके हैं। मगर फिलहाल कम्पनियों के कानों पर जूं नहीं रेंगी है।
ऐसी परिस्थितियों में राजस्थान की जनता को अपने मुख्यमंत्री से पूरी उम्मीद थी, वही पेट्रोल पंप संचालकों को पूरी आशंका थी। उन्हें डर था कि गहलोत बजट में पेट्रोल-डीजल पर वैट कम कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो पेट्रोल 3 से 5 रुपए सस्ता हो जाएगा और उन्हें एक ही दिन में 2 से 3 लाख रुपए की चपत लग जाएगी, क्योंकि पेट्रोल पंप पर रखे स्टॉक की कीमत कम हो जाएगी।
आमतौर पर एक पेट्रोल पंप पर 20 से 30 हजार लीटर तेल हरसमय उपलब्ध रहता है। इसके दाम कम होने से उन्हें 2 से 3 लाख रुपए की चपत सहन करनी पड़ती।

पेट्रोलियम कम्पनियां बनाती रही दबाव

खास बात यह भी है कि खुद तेल कम्पनियों को इस बात की उम्मीद थी कि राजस्थान बजट में पेट्रोल-डीजल पर वैट कम हो सकता है, इसलिए कम्पनियों ने शुक्रवार को अपने डीलर पर सप्लाई उठाने का पूरा दबाव बनाया। चूंकि डीलर खुद दूध के जले हुए हैं, लिहाजा उन्होंने पूरी एहतियात बरती और उस दिन टीटी बुक कराने से परहेज किया। नौबत यह रही कि सराधना स्थित हिंदुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड के टर्मिनल पर एक तरह से सन्नाटा पसरा रहा। ज्यादातर डीलर ने सप्लाई नहीं उठाई। बजट में वैट कम नहीं होने पर शाम को जाकर पेट्रोल पंप संचालकों ने राहत की सांस ली। यह अलग बात है कि आम जनता को महंगे पेट्रोल से राहत नहीं मिली।

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