सन्तोष खाचरियावास @ अजमेर
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से जहां आमजन आक्रोशित है, वही भारी घाटे की वजह से तेल कम्पनियों को भी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है लेकिन भारत में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने तेल कम्पनियों पर रेट नहीं बढ़ाने का दबाव बना रखा था। चुनाव निपटने के बाद भी सरकार का दबाव कम नहीं हुआ है।
सूत्र बताते हैं कि मोदी सरकार के दबाव के कारण इन दिनों पेट्रोलियम कम्पनियां पेट्रोल-डीजल के रेट अपने हिसाब से नहीं बढ़ा पा रही हैं। रोजाना थोड़ा-थोड़ा करके रेट बढ़ाए जा रहे हैं। माना जा रहा है तेल कम्पनियों को मौजूदा दौर में पेट्रोल पर करीब 14-15 रुपए प्रतिलीटर का नुकसान हो रहा है। इस नुकसान की भरपाई के लिए कम्पनियां एक साथ रेट नहीं बढ़ा पा रही हैं। यानी कम्पनियों को घाटा उठाकर भी सप्लाई देनी पड़ रही है। इससे रिलायंस, एस्सार जैसी निजी कम्पनियों के कई पम्प सूखे पड़े हैं, वहीं सरकारी दबाव के आगे HPCL, BPCL, IPCL जैसी कम्पनियों को घाटे के बावजूद सप्लाई जारी रखनी पड़ रही है।
इस घाटे को कम करने के लिए HPCL ने दूसरी पॉलिसी अपना रखी है। उन्होंने डीलर्स पर नकद सप्लाई लेने का दबाव बढ़ा दिया है, ताकि पैसों के अभाव में वे सप्लाई नहीं मंगवा सकें और कम्पनियों को घाटे वाला तेल भी ज्यादा नहीं बेचना पड़े। जबकि पहले आसानी से एक दिन के उधार पर सप्लाई दे दी जाती थी।
अब नकद तेल लेने का दबाव बढ़ते ही पेट्रोल पम्प संचालकों का अर्थशास्त्र बिगड़ गया है। वे जैसे-तैसे नकदी का इंतजाम कर गाड़ी बुक करा रहे हैं तो उस राशि में से कम्पनी पहले का बकाया भुगतान काट रही है। इससे नई सप्लाई की राशि शॉर्ट होने से डीलर की सप्लाई अटक रही है और उन्हें फिर से राशि का बंदोबस्त करना पड़ रहा है। नकदी का इंतजाम नहीं होने से उनके पम्प ‘ड्राई’ हो रहे हैं। उनके ग्राहक दूसरी कम्पनियों के पेट्रोल पम्प का रुख कर रहे हैं।
माना जा रहा कि आगामी दिनों में पेट्रोल 17 रुपए तक महंगा होने के बाद ही कम्पनियों को राहत मिलेगी और उसके बाद ही डीलर्स पर नकद सप्लाई लेने का दबाव कम होगा। तब तक कई पम्पों को अक्सर ‘ड्राई’ की समस्या से जूझना पड़ेगा और डीलर्स की ग्राहकी भी टूटती रहेगी। अप्रत्याशित रूप से खुद कम्पनी के ही ग्राहक कम होते रहेंगे।
12K गाड़ी की कमी, डिमांड बढ़ने से मारामारी
पम्प डीलर्स के पास नकदी का टोटा होने से अब ज्यादातर डीलर्स नकद में छोटी गाड़ी ही बुक करवा पा रहे हैं। सबसे छोटी गाड़ी 12 हजार लीटर यानी 12K की होती है। ऐसे में छोटी गाड़ियों की डिमांड बढ़ गई है लेकिन टर्मिनल पर 20K और 24K टैंकरों के मुकाबले 12K की गाड़ियां काफी कम हैं। लिहाजा, टर्मिनल पर समय से छोटी गाड़ियों से सप्लाई नहीं निकल रही है। गाड़ियों की टेंडर शर्तो में भी गड़बड़ की सूचना है। इस सम्बंध में हमारी पड़ताल जारी है और आगामी दिनों में बड़े खुलासों की उम्मीद है।
यह भी पढ़ें
http://www.newsnazar.com/business/कई-पेट्रोल-पम्पों-पर-पड़ा-त
http://www.newsnazar.com/business/बैंक-छुट्टियों-का-असर-कई-प