कानपुर। उत्तर प्रदेश में कानपुर की गोविंदनगर पुलिस के लचर रवैये के चलते दबौली से लापता दो किशोरियों का 48 घंटे बीतने के बाद भी कोई पता नहीं चल सका है।
करीब और 11 वर्षीय दो लड़कियां 29 जून की शाम घर से पार्क जाने के लिये निकली थी जिसके बाद उनका कोई पता नही चला। परेशान परिजनों ने कुछ देर तलाश करने के बाद पुलिस को इत्तिला दी।
परिजनों का आरोप है कि दोनों बच्चियों के पास मोबाइल फोन हैं जो उनके लापता होने के काफी समय बाद तक आॅन थे। पुलिस ने देर रात परिजनों से गुमशुदगी से संबधित तहरीर ली मगर किशोरियों के फोन को अगले रोज यानी शनिवार को सर्विलांस में लगाया मगर इस बीच दोनों के फोन बंद हो चुके थे।
लापता किशोरी की मां ने बताया कि परिजनों ने अपने निजी प्रयास से पता कराया कि किशोरियां शहर के अलग-अलग होटलो में आई- गई। उन्होने इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बावजूद पुलिस ने होटल प्रबंधन से पूछताछ की जहमत नहीं उठाई।
इस बीच, किशोरियों के एक नए नम्बर का पता चला जिसे परिजनों ने पुलिस को बताया मगर मीटिंग में होने का हवाला देते हुए गोविंदनगर थाना प्रभारी एसके मिश्रा ने उनकी बात को न सिर्फ अनसुना कर दिया बल्कि मिनी की मां अर्चना राठौर से कहा कि उनके पास केवल बच्चियों को ढूंढना ही काम नहीं है। इससे पहले दरोगा ने परिजनों से 24 घंटे के भीतर बच्चियों का पता करने का दावा किया था।
परेशान मां ने पुलिस अधीक्षक (दक्षिण) रवीना त्यागी से संपर्क साधा जिन्होने उन्हे आश्वासन दिया कि जल्द ही बच्चियों का पता लगा लिया जाएगा। इस बीच, नए नम्बर की लोकेशन लखनऊ के एक प्रतिष्ठित होटल में ट्रेस की गई। पुलिस और परिजन जब तक वहां पहुंचते, बच्चियां वहां से निकल चुकी थीं।
परिजन ने आशंका जताई है कि उनके बच्चों को फर्जी पहचान पत्र के आधार पर होटल और अन्य सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश दिया जा रहा है और इसके पीछे मानव तस्करी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। पुलिस अधीक्षक का कहना है कि पुलिस बच्चों की तलाश कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही उन्हे ढूंढ निकाला जाएगा।