बस्ती जिले के हर्रैया के थानेदार को यह सजा न्यायालय के आदेश के अनुपालन में लापरवाही बरतने पर मिली। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अर्पिता यादव ने उन्हें दोषी मानते हुए दंडित किया। न्यायालय ने जनप्रतिनिधियों के मामलों को देखने की जिम्मेदारी भी थानेदार हर्रैया को सौंपी थी।
न्यायालय में सरकार बनाम विपिन शुक्ला नाम से जनप्रतिनिधि की पत्रावली विचाराधीन है। जो साक्ष्य की कार्यवाही में चल रही है। न्यायालय द्वारा कई बार थानाध्यक्ष हर्रैया को साक्षियों को प्रस्तुत करने के लिए समन भेजा गया, परंतु थानाध्यक्ष ने उदासीनता बरती। किसी भी साक्षी को अदालत में प्रस्तुत नहीं किया गया। जो भी साक्षी आये वह न्यायालय की नोटिस पर आए। उसमें थानाध्यक्ष का योगदान नहीं था, जिससे क्षुब्ध होकर न्यायालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया।
आरोपी थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्रकीर्ण वाद धारा 345 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत दर्ज कर लिया गया। उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया। परंतु थानाध्यक्ष ने न्यायालय के नोटिस का स्पष्टीकरण देने में भी उदासीनता बरती। तब उप महानिरीक्षक पुलिस बस्ती को न्यायालय ने पत्र लिखा और थानाध्यक्ष की उपस्थिति सुनिश्चित करने की अपेक्षा की। सोमवार को थानाध्यक्ष कोर्ट में हाजिर हुए और सन्तोषजनक जबाब न होने पर अदालत ने उन्हें दंडित किया।