सन्त कबीर के 620वें प्राकट्य दिवस पर मोदी उनकी समाधि पर नमन करने मगहर पहुंचे। यहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ व दूसरे बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में मोदी ने कबीर की समाधि पर चादर चढ़ाई।
इसके बाद जनसभा को भी संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “समाज को सदियों से दिशा दे रहे मार्गदर्शक, समभाव और समरसता के प्रतिबिम्ब महात्मा कबीर को उनकी ही निर्वाण भूमि से एक बार फिर मैं उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं। ऐसा कहते हैं कि यहीं पर संत कबीर, गुरु नानकदेव और बाबा गोरखनाथ ने एक साथ बैठकर आध्यात्मिक चर्चा की थी।”
बस यही मोदी चूक कर गए। सन्त कबीर बाबा गोरखनाथ के समकालीन नहीं थे।
बताया जा रहा है कि नाथ संप्रदाय की स्थापना करने वाले बाबा गोरखनाथ का जन्म 11वीं शताब्दी में हुआ था जबकि 120 साल जीवित रहने वाले संत कबीर का जन्म 14वीं शताब्दी (1398 से 1518) के आखिर में हुआ था।
गुरु नानक का काल 15वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी (1469-1539) के बीच का है। एक ही दौर में होने की वजह से गुरु नानक और संत कबीर की मुलाकात तो सम्भव है, लेकिन इन दोनों महापुरुषों से कई साल पहले हुए गोरखनाथ से उनकी मुलाकात कैसे हुई, यह मोदी ही बता सकते हैं।