इलाहाबाद। नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए गुरुवार को तलवार दंपती को बरी कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से सीबीआई को बड़ा झटका लगा है। 1418 दिन बाद जेल में रहे तलवार दंपती को इस केस में बरी किया गया है।
इस मामले में न्यायाधीश बी़ के. नारायण और न्यायाधीश अरविंद कुमार मिश्र की पीठ ने सीबीआई की जांच में कई खामियों का हवाला देते हुए दोनों को बरी कर दिया।
आरोपी दंपती डॉ़ राजेश तलवार और नुपुर तलवार ने सीबीआई अदालत की ओर से उम्रकैद की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
गौरतलब है कि डा़ तलवार की बेटी आरुषि की हत्या 15 एवं 16 मई 2008 की दरम्यानी रात नोएडा के सेक्टर 25 स्थित घर में कर दी गई थी। हत्या का शक तलवार दंपती के घरेलू नौकर हेमराज पर जताया गया था लेकिन हेमराज का शव घर की छत से कुछ दिनों बाद बरामद किया गया।
जानें कब क्या हुआ
16 मई 2008 : राजधानी दिल्ली के पास नोएडा में रहने वाले दंत चिकित्सक राजेश तलवार की 14 साल की बेटी आरुषि तलवार और नौकर हेमराज की हत्या 15-16 मई 2008 की दरमियानी रात नोएडा में तलवार के घर पर हुई।
16 मई की सुबह आरुषि अपने कमरे में मृत हालत में पाई गई। धारदार हथियार से उसका गला रेत दिया गया था। एक दिन बाद नौकर हेमराज का शव राजेश तलवार के पड़ोसी की छत से बरामद हुआ।
मामले में 23 मई 2008 को राजेश तलवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। एक दिन बाद 24 मई को यूपी पुलिस ने राजेश तलवार को मुख्य अभियुक्त बताया।
मामले में दबाव बढता देख 29 मई को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीआई जांच की सिफारिश की।
सीबीआई ने जून 2008 में एफ़आईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी। सीबीआई ने राजेश तलवार को हिरासत में लेकर पूछताछ की।
सबूतों के अभाव में विशेष अदालत ने 12 जुलाई 2008 को राजेश तलवार को रिहा कर दिया।
राजेश तलवार के कंपाउंडर और दो नौकरों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, लेकिन उनके ख़िलाफ़ भी कोई सबूत नहीं मिले और उन्हें सितंबर 2008 में रिहा कर दिया गया।
मामले में पहला मोड़ तब आया, जब 9 फरवरी 2009 में तलवार दंपती पर हत्या का मामला दर्ज किया गया।
पुलिस ने तलवार दंपती द्वारा जांच में सहयोग न किए जाने की बात कही, तो जनवरी 2010 में कोर्ट से नार्को टेस्ट की इजाज़त मिली।
30 महीने की जांच के बाद सीबीआई ने दिसंबर 2010 में अदालत में क्लोज़र रिपोर्ट पेश की। तलवार दंपती ने इसके ख़िलाफ़ कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और नए सिरे से जांच की मांग की। इसी सिलसिले में कोर्ट गए राजेश तलवार पर 25 जनवरी 2011 में परिसर में ही चाकू से हमला हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी 2012 को तलवार दंपती पर मुक़दमा चलाने का आदेश दिया।
नुपुर तलवार को 30 अप्रेल 2012 को ग़िरफ़्तार कर लिया गया। इससे पहले उनकी ज़मानत याचिका को अदालत ने ख़ारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत के निर्देश पर जून 2012 में फिर से मामले की सुनवाई शुरू हुई। इस बीच नुपुर तलवार 25 सितंबर 2012 को ज़मानत पर बाहर आ गईं।
इस मामले में 12 नवंबर 2013 को बचाव पक्ष के गवाहों के अंतिम बयान दर्ज किए गए। कोर्ट ने 25 नवंबर 2013 को फ़ैसला सुनाने का निर्णय दिया।
25 नवंबर 2013 को सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपती को उम्रकैद की सज़ा सुनाई। दोनों फिलहाल गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे थे।