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निजी अस्पताल में मौत के बाद भी करते रहे इलाज, बढ़ता रहा बिल

लखनऊ। निजी अस्पतालों में मरीजों की जेब काटने के किस्सों में एक और प्रकरण जुड़ गया है। राजधानी लखनऊ के एक निजी अस्पताल पर मौत के बाद भी मरीज को आईसीयू में भर्ती करने और ऑक्सीजन चढ़ाने की आड़ में बिल बढ़ाने का आरोप लगा है। मरीज के परिजन ने जमकर हंगामा किया और चिकित्सा विभाग को शिकायत दी। इस पर सीएमओ ने जांच लिए टीम गठित कर दी है।

 

सीतापुर के चिनहरा निवासी रामचंद्र (53) को 10 सितंबर को पेट दर्द हुआ। पुत्र आशीष और नीरज उन्हें सुबह लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां से उन्हें लौटा दिया गया। इसके बाद उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां आंत पंचर बता लखनऊ रेफर कर दिया। बताया गया कि दलालों ने अपने चंगुल में फंसाकर मरीज को न्यू यूनाइटेड हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया जहां 60 हजार में इलाज का सौदा तय हुआ।

 

डॉक्टरों ने करीब शाम साढ़े छह बजे ऑपरेशन किया। डॉक्टरों ने दो घंटे बाद होश में आने का दावा किया था मगर 24 घंटे बाद भी होश नहीं आया। बाद में उन्हें संक्रमण फैलने का हवाला देकर आइसीयू से बाहर कर दिया। नीरज और आशीष ने बताया कि रविवार सुबह करीब तीन बजे हालत गंभीर हुई और चार बजे मौत हो गई। स्टाफ ने उन्हें आइसीयू में शिफ्ट कर दिया। किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया। मौत के बाद भी ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा था। उधर, स्टाफ बकाया बिल जमा करने का दबाव बनाने लगा। इलाज के नाम पर करीब 70 हजार रुपए जमा कराए गए। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने मौत का खुलासा किया।
शव देखकर आशीष व नीरज ने हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने इलाज में लापरवाही के साथ ही किडनी चोरी का आरोप भी लगाया। इस पर पुलिस शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। हालांकि पोस्टमॉर्टम में मरीज की किडनी मौजूद मिली।

इनका कहना है…

मरीज को आंत में दिक्कत के साथ-साथ उसे सांस की बीमारी भी थी। डॉक्टरों ने बचाने का पूरा प्रयास किया। आरोप बेबुनियाद हैं। मरीज को मौत के बाद ऑक्सीजन देने व आईसीयू में रखने का सवाल ही नहीं है। ऐसा मैं नहीं कर सकता हूं।
– प्रदीप त्रिपाठी, अस्पताल निदेशक

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