लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण समेत अन्य अपराधों के मामले में लखनऊ की एनआईए की विशेष अदालत ने 12 लोगों को उम्रकैद जबकि 4 लोगों को 10-10 साल की सजा सुनाई। अवैध धर्मांतरण के मामले में यह पहला केस है, जिसमें एक साथ 16 लोगों को सजा सुनाई गई है। सभी आरोपियों पर कोर्ट ने 10 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया है।
एनआईए के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मंगलवार को धर्मांतरण कराने के सरगना उमर गौतम समेत 16 आरोपियों को इस मामले में दोषी करार देकर बुधवार को सजा सुनाने के लिए तलब किया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक आरोपी मो. इदरीस कुरैशी के मामले में हाईकोर्ट के स्टे के चलते सुनवाई नहीं हुई।
कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण के पीड़ित आदित्य गुप्ता और मोहित चौधरी को दो-दो लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। वहीं अन्य पीड़ित नितिन पंत और परेश लीलाधर हारोड़े को एनआईए दिलाने के लिए अपने निर्णय की एक प्रति को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजने का आदेश दिया है।
एटीएस के लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि एटीएस ने 20 जून 2021 को 17 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करके चार्जशीट दाखिल की थी। अभियोजन की ओर से कुल 24 गवाहों को कोर्ट में पेश किया जबकि बचाव पक्ष ने अपने बचाव में कुल पांच गवाह पेश किया था। विशेष अभियोजक ने बताया कि सभी आरोपी नौकरी समेत कई तरह का प्रलोभन देकर आपराधिक षडयंत्र के तहत देशव्यापी अवैध धर्मांतरण का गिरोह चलाते थे।
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