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दिवाली आज भी, ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश पूजा, जानिए संपूर्ण पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

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आज यानी 01 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक माह की अमावस्या है। दरअसल इस वर्ष कार्तिक अमावस्या दो दिन है, जिसके कारण 31 अक्तूबर को भी कार्तिक अमावस्या थी और आज भी है। कार्तिक अमावस्या पर मां लक्ष्मी जी की पूजा होती है और दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। कुछ जगहों पर आज यानी 01 नवंबर को लक्ष्मी पूजन होगा।
 इस वर्ष अमावस्या की तिथि के चलते दिवाली की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन देश के ज्यादातर जगहों में बीते दिन 31 अक्तूबर को दिवाली मनाई गई, वहीं कुछ जगहों पर आज भी मनाई जा रही है।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। तभी से हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की परंपरा चली आ रही है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की परंपरा के पीछे मार्केंडेय पुराण में बताया गया है कि जब धरती पर चारो तरफ अंधेरा व्याप्त था तब एक तेज प्रकाश के साथ कमल पर विराजमान मां लक्ष्मी प्रकट होकर संसार में फैले अंधकार को दूर किया था। इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन और दीप जलाने की परंपरा है।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व और विधि

दीपावली पर महालक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के साथ भगवान गणेश, कुबेर देवता और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करने विधान होता है। दीपावली पर मां लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के तीन मुहर्त में किया जाता है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा अमावस्या तिथि में प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में करना सर्वोत्तम माना गया है। इसके अलावा दिवाली पर तांत्रिक और साधकों के लिए मां लक्ष्मी की पूजा महानिशीथ काल में करना ज्यादा उपयुक्त माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली की रात माता लक्ष्मी बैकुंठ धाम से पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि किन घरों में साफ-सफाई, अच्छी सजावट और विधि-विधान के साथ पूजा हो रही है। जिन घरों में पूजा-पाठ और साफ-सफाई होती है वहीं पर मां लक्ष्मी विराजमान हो जाती हैं। दिवाली पर घर की साफ-सफाई और सजावट करके विधि-विधान से पूजन करने पर महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है। दिवाली की रात मां लक्ष्मी के प्रसन्न होने पर जीवन में सुख, संपन्नता, धन-धान्य, समृद्धि और अपार धन-दौलत की कोई कमी नहीं होती। मां लक्ष्मी हर तरह की मनोकामनाओं का पूरा करती हैं। आइए जानते है इस दिवाली पर मां लक्ष्मी की कैसे करें पूजा और क्या लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त।

लक्ष्मी पूजा संपूर्ण पूजा विधि

वैसे तो दिवाली से काफी दिनों पहले घरों की साफ-सफाई होती है, लेकिन दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन से पहले एक बार फिर से साफ-सफाई करें। घर के वातावरण को शुद्ध और पवित्र करने के लिए घर के हर कोनों में गंगाजल का छिड़काव करें।

इसके बाद घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं। वहीं दरवाजे के दोनों हिस्सों में स्वास्तिक और शुभ-लाभ की आकृतियां बनाएं।

शाम के समय लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण में एक चौकी रखें।फिर इस चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।

इसके बाद चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजित करें और दाहिन तरफ मां लक्ष्मी की मूर्ति को रखें। साथ ही जल से भरा कलश भी रखें।

फिर सभी पूजन सामग्री को साथ में लेकर आसान पर बैठें और चारो तरफ गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा का संकल्प लेते हुए पूजा आरंभ कर दें।

सबसे पहले गणेश स्तुति और वंदना करते हुए गणेश की पुष्य, अक्षत, गंध, फल और भोग अर्पित हुए तिलक लगाएं।

भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हुए मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करते हुए सभी तरह की पूजन सामग्री भेंट करें।

फिर भगवान गणेश,माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के बाद विधि-विधान के साथ कुबेर देव और मां सरस्वती की पूजा करें।

इसके बाद परिवार सभी लोग महालक्ष्मी की आरती, मंत्रों का जाप और स्तुति पाठ करें।

आरती और मंत्रों का जाप के बाद दीपक जलाएं और घर के हर एक हिस्से में रखें।

महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें।

इसके अलावा दिवाली पर पूर्वजों को याद करते हुए उनकी पूजा-अर्चना, धूप और भोग अर्पित करें।

भगवान गणेश का आवाहन मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

दिवाली लक्ष्मी पूजन मंत्र

कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारंभ- 31 अक्तूबर को दोपहर 03:52 मिनट से।

कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 01 नवंबर को शाम 06:16 मिनट तक।