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खास इंतजाम : गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का पाद प्रक्षालन खुद मां गंगा करेंगी

 

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम केवल मंदिर ही नहीं यात्री सुविधाओं के नजरिये से भी खास बनाया गया है। पूरा परिसर आनंद-कानन की अनुभूति भी कराएगा। बेल व रुद्राक्ष के पेड़ तो होंगे ही अशोक, नीम व कदंब की भी छाया परिसर में मिलेगी। पहले पांच हजार स्क्वायर फीट में बना मंदिर परिसर अब 5 लाख स्क्वायर में फैल गया है। सबसे खास ये है कि पहले गंगा घाट से स्नान कर तंग गलियों से होते हुए मंदिर आना होता था। अब गंगा घाट से विश्वनाथ मंदिर जुड़ गया है।

900 करोड़ से लिया मूर्त रूप

काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को किया था। एक अध्यादेश के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे परिसर को विशिष्ट क्षेत्र घोषित किया था। इसकी कुल लागत लगभग 900 करोड़ रुपए है।

विश्वनाथ धाम में अब मां गंगा भी मौजूद दिखेंगी।  मंदिर गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का पाद प्रक्षालन खुद मां गंगा करेंगी। बाबा विश्वनाथ से गंगा के सीधे जुड़ाव के लिए एक पाइप लाइन बिछा दी गई है।

एक पाइप लाइन से गंगा का जल बाबा के गर्भगृह तक आएगा जबकि दूसरी पाइप लाइन से गर्भगृह में चढ़ने वाला दूध और गंगाजल वापस गंगा में समाहित हो जाएगा। जल और दूध को गंगा तक पहुंचाने के लिए बिछाई गई पाइप लाइन का ट्रायल बुधवार हुआ।

108 पेड़ बढ़ा रहे शोभा

पूरब में गंगा द्वार से मंदिर चौक, मंदिर परिसर होते हुए धाम के पश्चिमी छोर तक 108 पेड़ व वनस्पतियां लग रहे हैं। पेड़ों में बेल, अशोक और शमी को प्रमुखता दी गई है।

विश्वनाथ मंदिर के मुख्य गर्भगृह में नक्काशीदार खंभों के पीछे की दीवार पर साहित्य और पाषाण शिल्प का अनूठा संगम है। सूर्यास्त के बाद यह गैलरी बहुरंगी प्रकाश में अनूठी आभा बिखेरेगा। गैलरी के पूर्वी हिस्से में शिव महिम्न स्तोत्र और संध्या वंदन का विधान संगमरमर के पत्थर पर उकेरा गया है। वगैलरी के दक्षिणी हिस्से में संगमरमर से उकेरी गई थ्रीडी आकृतियों में बाबा विश्वनाथ और माता गंगा से जुड़े प्रसंगों को दर्शाया गया है। उन चित्रों के नीचे उस प्रसंग का सार भी अंकित है।

 

गंगा द्वार और मुख्य परिसर के बीच बना मंदिर चौक 30 हैवी लाइट से जगमग हो गया है। ये लाइटें उत्तर से दक्षिण की ओर पांच कतारों में लगाई जाएंगी। प्रत्येक कतार में छह हैवी लाइट हैं।

फसाड लाइटें अद्भुत आकर्षण पैदा कर रहीं

विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के बाहर से ताड़केश्वर और रानीभवानी के शिवालयों तक फासाड लाइटिंग पूरे परिसर को अद्भुत लुक दे रही हैं।
विश्वनाथ धाम के दोनों ओर बसे मोहल्लों में लोगों को सरस्वती फाटक और पांचों पंडवा की ओर जाने के लिए लंबा चक्कर नहीं लगाना होगा। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही सरस्वती फाटक और नीलकंठ द्वार जनता के लिए खोल दिए जाएंगे।

आकर्षण व भव्यता के साथ सुरक्षा 

काशी विश्वनाथ धाम को खुबसूरत और भव्य बनाने के साथ ही उसकी सुरक्षा पर भी गंभीरता बरती गई है। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस कंट्रोल रूम बनाया गया है। कॉरिडोर में सभी प्रवेश द्वार के अलावा अलग-अलग जगहों पर तैयार वाच टावर पर अत्याधुनिक असलहे से लैस जवानों की तैनाती है। तीन शिफ्ट में 24 घंटे इनकी तैनाती होगी।

 

वास्तु का खास ध्यान रखा गया

काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य परिसर को छोड़ शेष हिस्से में बनाए गए 23 भवनों का नामकरण काशी के धार्मिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए किया गया है। विश्वनाथ धाम के 24 खंडों में से कुछ को वाईएसके (यात्री सुविधा केंद्र), टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर, वाराणसी गैलरी, सिटी म्यूजियम, स्प्रीचुअल बुक सेंटर, लिट्रेचर गैलरी, फोटो गैलरी के अस्थाई नाम से पुकारे जा रहे हैं।

पेड़ों के लिए खास इंतजाम

परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में ही हरियाली का खाका खींच लिया गया था। धाम परिसर में जो पेड़ लगाए गए हैं उनके लिए खास इंतजाम किया गया है। सीधे मिट्टी के संपर्क में ये पेड़ होंगे। इनमें पाइप लगा कर भीतर-भीतर ही हवा-पानी का इंतजाम किया गया है। स्थान अनुसार इन गड्ढों में छह से 15 फीट तक के पेड़-पौधे लगे हैं।