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हिन्दू धर्म को बदनाम करने वाली ‘आश्रम’ वेबसीरीज पर प्रतिबंध की मांग

जयपुर। प्रकाश झा द्वारा निर्देशित ‘आश्रम’ वेब सीरीज 28 अगस्त को एम् एक्स प्लेयर नामक ओटीटी प्लैटफॉर्म पर प्रदर्शित होने वाली है। इस वेबसीरीज का आधिकारिक ट्रेलर प्रसारित हो चुका है। उससे यह स्पष्ट होता है कि आश्रम वेब सीरीज को केवल हिन्दू धर्म को बदनाम करने और हिन्दुओं के मन कलुषित करने के उद्देश्य से ही बनाई गई है।

वास्तव में प्राचीन काल से भारत के उत्थान में आश्रम व्यवस्था का अतुलनीय योगदान रहा है।सुसंस्कारित और देशभक्त छात्र तैयार करने वाले गुरुकुल तो आश्रम ही थे। आज भी संपूर्ण भारत में साधु-संत और आध्यात्मिक संस्थाओं के आश्रमों में चल रहे सेवाकार्य से समाज, राष्ट्र एवं धर्म के उत्थान का भव्य कार्य हो रहा है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति ब्रह्मचर्याश्रम, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम और संन्यासाश्रम, इन चार आश्रम प्रक्रियाओं से गुजरता है।

 

जबकि आश्रम वेबसीरीज में इसके उलट जिस आश्रम का उल्लेख किया गया है, वह काशीपुर गांव में होने का बताया गया है। काशी हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थान है। उसके नाम से समानतावाले गांव का नाम दिखाकर जानबूझकर हिन्दुओं के धार्मिक क्षेत्रों की प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास इस माध्यम से किया गया है।

इस वेबसीरीज में अभिनेता बॉबी देओल द्वारा निभाई गई बाबा निराला की भूमिका समान व्यक्ति रेखा कुछ महीने पूर्व गिरफ्तार किए गए पाखंडी बाबा राम रहीम की भांति दिखने वाली है परंतु वे अन्य पंथ के हैं और उनके उपासना केंद्रों को ‘आश्रम’ नहीं कहा जाता। हिन्दुओं के उपासना केंद्र अर्थात आश्रम को बदनाम किया जा रहा है।

ट्रेलर में भक्ति या भ्रष्टाचार, आस्था या अपराध जैसे वाक्य लिए गए हैं। ऐसे वाक्य हिन्दुओं के मन में व्याप्त आश्रम व्यवस्था के प्रति आदरभाव को नष्ट करने वाले हैं। किसी कलाकृति की निर्मिति में भले ही कल्पना की स्वतंत्रता होती है परंतु उस कल्पना के आधार पर समाज की श्रद्धाओं का भंजन करने का अधिकार किसी को नहीं है।

वेबसीरीज के साथ एक डिस्क्लेमर भी दिया है। इसमें हमारे देश के सभी प्रचलित धर्म-पंथ, विचार, संस्कृति एवं परंपरा हमारी धरोहर हैं और हमें उन पर गर्व है परंतु इस गौरवशाली धरोहर के आधार पर कभी-कभी विकृत प्रयोग करते हुए समाज के भोले-भाली जनता का उत्पीडन किया जाता है। इसके साथ ही हमारे पूज्य, सत्य और सम्माननीय धर्मगुरुओं का बदनाम किया जाता है।