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सूर्य की सायन मिथुन संक्रांति, गर्मी की प्रचंडता

न्यूज नजर : ज्योतिष शास्त्र के पाश्चात्य मत के अनुसार सूर्य मंगलवार को मिथुन राशि में दिन को 1 बजकर सैंतीस मिनट पर प्रवेश कर गया और गर्मी की ऋतु अपनी प्रचंडता के साथ शुरू हो गई है। जबकि भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य अभी वृष राशि में ही भ्रमण कर रहे हैं तथा 15 जून को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

इस समय मिथुन राशि में मंगल ग्रह और राहू ग्रह भ्रमण कर रहे हैं, दोनों ही शनि व केतु को देख कर अजीबो गरीब माहौल बना रहे हैं। घटना खगोल शास्त्र की है जो जमीन पर रश्मि प्रभाव डालकर प्रकृति को प्रभावित कर रही है और संकेत दे रही है इस भ्रम में ना रहे की गरमी हमारा कुछ नहीं बिगाड सकती इसलिए गर्मी से बचने के उपाय करें।

आंधी तूफान और वर्षा समुद्र में तूफान उठकर भ्रम में डाल देते हैं कि वर्षा ऋतु आ गई है लेकिन सच में गर्मी ही गर्म करेगी।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आकाश में ग्रह की स्थितियों के योग कुछ समय के लिए उत्साह वाले को डरा रहा है तो दुर्बल किसी के सहारे को ढूंढ रहा है। राहू ने भ्रम डालकर मंगल शनि को गुमराह कर निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर दिया तथा तर्क और दर्शन युद्ध ग्रस्त हैं।

 

वृहस्पति ग्रह उल्टी गति से चलकर अपने सत्य ज्ञान को छिपाए बैठे हैं और सूर्य 40 डिग्री तक ही पहुंच पाया है तथा 320 डिग्री की ओर देख रहा है। चंद्रमा आज वक्री शनि ग्रह और केतु के ग्रहण में फंसकर मन को कमजोर कर रहे हैं। ऐसे में सायन मत में मिथुन राशि का सूर्य भी राहू के चक्र में फंस कर अपने मान प्रतिष्ठा ओर सम्मान को बचाने में लगे हुए हैं।

ग्रहों की चौसर ऐसे घर की कहानी को बता रहे हैं जो अंदर से बिलकुल तैयार हो चुका है और जिसे दूसरा कोई देख नहीं पाया है और जिन लोगों ने उस मकान में अपना सामान रखा है बस उन्हें भी इतनी ही जानकारी थी कि हम क्या छोड़ कर आए हैं बाकी उस मकान की कोई भी चीज किसे भी नजर नहीं आ रही थी।

बाहर निकलने वालों से कुछ लोग पूछ रहे थे कि तुम क्या छोड़ कर आए हो। आधे से ज्यादा लोग तो चुपचाप ही निकल पड़े ओर कुछ भी नहीं बताया। कुछ मनचले थे जो कुछ भी बता कर चले गए और कुछ लोग अपनी हकीकत को कह गए।

पूछने वालों ने अपनी जानकारी को अच्छे ढंग से सजा कर प्रस्तुत कर दी। यह ही जानकारी किसी को सुखी कर रही थी और किसी को परेशान। जबकि सत्य कुछ ओर ही था ओर सबका हित इस मकान से जुडा हुआ था।

संतजन कहते हैं कि हे मानव, सूर्य तो गर्मी बढा कर माहौल को गर्म कर रहे हैं और मंगल ग्रह तर्क की लाठी ले घूम रहे हैं और राहू विरोध कर सत्य को प्रकट करवाने पर तुला हुआ है।

वृहस्पति ग्रह नीति की निष्ठा बनाने में लगे हुए हैं और शनि ग्रह का दर्शन सबको उलझा कर कोई सोचने को मजबूर कर रहा है ओर वास्तव मे यह खगोलीय घटना के ग्रह प्राकृतिक प्रकोप से सावधान रहने के संकेत दे रहे हैं।

इसलिए हे मानव यह खगोलीय घटना तो होती रहेगी लेकिन तू अपना कर्म कर। हार जीत तो देव विषय है। हर हार में कोई जीत छिपी रहती है और हर जीत में कोई हार छिपी रहती हैं।

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