न्यूज नजर : जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण मानव अपने गत अनुभव और बदलती स्थितियों तथा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हर क्षेत्र में योजना को बनाकर भविष्य में अपने कार्यों की रूपरेखा तैयार करता है। कर्म के इस मार्ग को सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक, शारीरिक तथा प्राकृतिक कारण प्रभावित करते हैं।
प्राकृतिक कारणों को छोड़ बाकी हर कारणों पर मानव अपने पक्ष में कर सकता है। प्राकृतिक कारणों से उपजी बाधा उसकी कार्य योजना को फलीभूत नहीं कर पाती और ऐसे में मानव भाग्य के खेल का सहारा लेकर अपने आप को दिलासा देता है। शानदार शादी की व्यवस्था और बेमौसमी बरसात के खेल कई बार देखे जाते हैं।
जिज्ञासा की इसी प्रवृति में ज्योतिष शास्त्र आकाशीय पिंडों ग्रह नक्षत्रों के आधार पर वर्ष भर में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान करके भविष्यवाणी
करता है। यह भविष्यवाणी कितनी सफल होती है अथवा नहीं इसका जबाब समय देता है, फिर भी सदियों से आज तक भविष्यवाणी करने की प्रथा चलीं आ रही है।
ईसवीं नववर्ष 2019 की मध्य रात्रि को ग्रह योग
ईसवीं नववर्ष की प्रारंभिक शुरूआत में आकाश में सूर्य और शनि धनु राशि में, गुरु ग्रह और बुध में, शुक्र ग्रह व चन्द्रमा तुला राशि में, मंगल ग्रह मीन राशि में तथा राहू मकर राशि व केतु कर्क राशि में भ्रमण कर रहे थे।
बड़े ग्रह बृहस्पति मार्गी और वक्री होकर वृश्चिक राशि से धनु राशि में तथा धनु से पुनःवक्री होकर वृश्चिक राशि मे तथा फिर धनु राशि में ही भ्रमण इस वर्ष करेंगे। वृहस्पति ग्रह इस वर्ष 23 मार्च को धनु राशि में प्रवेश करेंगे तथा 10 अप्रेल को वक्री गति से भ्रमण करते हुए पुन 24 अप्रेल को वृश्चिक राशि मे आ जाएंगे। वृश्चिक राशि में वृहस्पतिदेव की वक्री गति 11 अगस्त 2019 तक रहेगी फिर मार्गी होकर 4 नवम्बर 2019 को फिर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस वर्ष चार माह तक (अप्रेल से अगस्त) वृहस्पतिदेव उलटे अर्थात वक्री गति से भ्रमण करते रहेंगे।
शनि ग्रह धनु राशि में ही 30 अप्रेल 2019 को वक्री गति से भ्रमण करते हुए 18 सितम्बर को मार्गी होंगे। शनि भी चार माह तक इस वर्ष उल्टे अर्थात वक्री गति से भ्रमण करते रहेंगे और वर्ष के अंत में अस्त हो जाएंगे। राहू केतु भी 6 मार्च 2019 को अपनी राशि परिवर्तन कर राहू कर्क राशि से धनु राशि में तथा केतु मकर राशि से धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
राहू केतु का राशि परिवर्तन व प्रभाव
राहू केतु का का आकाश में कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है। केवल गणितीय गणनाओं के द्वारा ही इसका मान निकाला जाता है। राहू को ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह माना गया है। यह एक राशि में लगभग 18 माह तक रहता है तथा सदैव वक्री रहता है। यह मिथुन राशि में उच्च व धनु राशि में नीच का रहता है तथा कुंभ राशि में मूल त्रिकोण का हो जाता है।
राहु के राशि परिवर्तन 6 मार्च को 2019
राहू मिथुन राशि में तथा केतु धनु राशि में दिनांक 6 मार्च 2019 को प्रवेश करेंगे। राहू व केतु का यह राशि परिवर्तन ज्योतिष जगत में महत्व की दृष्टि से देखा जाता है, क्योंकि राहू अनिश्चित ग्रह हैं और खराब फल देने में यह शनि सें ज्यादा खराब व शुभ फल देने में गुरू ग्रह को पीछे छोड़ देता है ।
अठारह माह एक ही राशि में भ्रमण करने वाले यह छाया ग्रह विश्व स्तर पर अपने प्रभाव को डालता है तथा सामाजिक धार्मिक राजनैतिक और आर्थिक आदि क्षेत्रों में परिवर्तन करते हैं। वैज्ञानिक और शोध वाला गुण रखते हुए यह ग्रह विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों को हासिल कराने की क्षमता रखते हैं।
प्राकृतिक प्रकोपों को यह ग्रह बढा देते हैं तथा सभी क्षेत्रों में अनिश्चित घटनाक्रम को अंज़ाम देने की क्षमता रखते हैं। असंतोष व अचानक किसी भी क्षेत्र में नुकसान व विद्रोह कराते हैं। ऐसी मान्यताएं ज्योतिष शास्त्र की है।