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देव कोई वाणी नहीं करता, भविष्यवाणी ग्रहों के अनुमान हैं

 

न्यूज नजर : देव अर्थात एक अदृश्य शक्ति जो प्रकृति को अपनी इच्छा के अनुसार चलाती है। जिसका रंग रूप आकार प्रकार किसी को दिखाई नही देता है। वो कब क्या करेगी इस की कोई वाणी नहीं होती। यह जमीनी स्तर का सत्य है।

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

निश्चित ऋतु चक्र में भी कभी क्या घटित हो जाता है सब अनुमान और शोध की ही विषय वस्तु बन कर रह जाती है। धार्मिक कथाओ में आस्था और विश्वास तक ही देव और उसकी वाणी को देखा जा सकता है, पर जमीनी हकीकत में देव और देववाणी देखी नही गयी। अगले ही पल क्या घटित होगा इसका भान केवल बहतरीन अनुमान ही दे सकते है।
जिज्ञासा वश मानव प्रकृति के रहस्यों को ढूंढने का प्रयास करने लगा। इस खोज में कोई भौतिक जगत के रहस्यों को खोजता हुआ कारण परिणाम बताता हुआ वैज्ञानिक बन गया। अभौतिक रहस्यों जगत के रहस्यों को खोजता हुआ कोई अभौतिक विद्याओं का ज्ञाता बन गया। इन विद्याओं में यंत्र मंत्र तंत्र कर्म कांड अनुष्ठान उपासना जादू टोना टोटका ज्योतिष शास्त्र अंक शास्त्र वास्तु शास्त्र हस्त रेखा शास्त्र ओर अनेक प्राच्य विद्याएं जिसका आधार अदृश्य शक्ति के साकार देव रहे है।

प्राच्य विद्याओं का इतिहास भले ही कोई भी अपनी उपलब्धि बताता रहा पर वर्तमान धरातल पर इनका फलदायी रूप नही देखा गया। अगर ऐसा होता तो इन विद्याओ का जानकार हर कार्य अपने अनुरूप करा लेता। ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता वर्तमान लोकतंत्र की शासन व्यवस्था की तमाम भविष्यवाणी कर राज्य व देश प्रमुख व उनके पक्ष विपक्ष की संख्या निर्धारित कर घोषित कर देता। कर्मकांड ओर अनुष्ठान का ज्ञाता अपने अनुसार ही राजा ओर सरकारे तय कर देता।

देश और दुनिया में होने वाले सभी जुर्म व अत्याचार अशांति को रोक देता। सदियों से पौराणिक इतिहास व अन्य इतिहास की कथाएं बताती है कि देव दानव ओर मानव ने जब जो चाहा इन विद्याओ वो सब कुछ उसे नही मिला। अन्यथा कभी बाहरी शक्तियां यहां आकर राज नही करती।
विज्ञान चाहे भोतिक हो या अभोतिक इन सब की मर्यादाऐ होती है ओर वो स्थिति तथा अपने सिद्धान्तो पर ही जिन्दा रहता है। यह कोई आंकडो का मायाजाल नही होता है कि हम हर उपलब्धि को चाहे जैसे प्रस्तुत कर दे। भोतिक विज्ञान प्रयोगो की कसोटी पर प्रयोगशाला में जांचा ओर परखा जाता है तब ही वो अपने परिणाम सफल देकर विज्ञान कहलाता है।

प्राच्य विद्याए प्रयोगशाला के अभाव में विज्ञान नही बन पायी और इनकी भविष्यवाणीयां सफल नही हो पायी। एक व्यक्ति विशेष तक भी यह आधी अधूरी ही रहती है।
सांख्यिकी सर्वे निश्चित ओर बहुस्तरिय रेन्डम सैम्पल पर आधारित होते है और निश्चित संख्या के आधार पर अनुमान लगाते है, एक जटिल तकनीकी आधार पर लंबे समय में अपना अनुमान प्रस्तुत करते है।

जबकि तात्कालिक सर्वे केवल आंखो के अनुमान ही होते है जो करोडो में से चन्द हजार लोगो पर अपना परिणाम घोषित कर बाजार को प्रभावित करते है और परिवर्तन में अपनी की भूमिका निभाते है। अनुमान आखिरी अनुमान होते है जिससे देव ओर दानव दोनो बनाये जा सकते है।

संतजन कहते है कि हे मानव सदियो का इतिहास यही बताता है कि भविष्य में क्या होगा इसकी देव कोई वाणी करके नही सुनाता ओर भविषयवाणी व्यक्ति ओर परिस्थिति विशेष में ही सिकुड कर रह जाती है अपने सिद्धान्तो की मर्यादा के कारण। राजनीति में तो यह ओर भी कठिन हो जाती है बहु व्यक्तियो के प्रतिस्पर्धा के कारण। महिला मुख्यमंत्री मंत्री बनेगी या पुरूष या किस पार्टी को सत्ता हासिल होगी। यह बाते भविष्य के गर्भ में होती है और आने वाला काल ही इसे बतायेगा। यह सब अदृशय देवो की अदृशय देववाणी होती है जिसे जाना नही जा सकता।

इसलिये हे मानव तू अपने बल बुद्धि विवेक साहस से ही कार्य कर क्योकि हर अंधविश्वास व्यक्ति की कार्यक्षमता को कमजोर करता है और उसकी सफलता की राह में अनावशयक रोडे अटका देता है। सर्वे और भविष्यवाणियां एक अनुमान ही होते है। यही अब तक का इतिहास बताता है। इसलिये हे मानव अपने कर्म की ओर बढ और अपने लक्ष्य को आसान बना।

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