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चन्द्रग्रहण के बाद क्या होगा ? भूकम्प, दुर्घटना और सत्ताधीशों के अनिष्ट की आशंका

भंवरलाल, ज्योतिषाचार्य

संस्थापक, जोगणिया धाम पुष्कर

7 अगस्त की रात्रि 10 बजकर 53 मिनट पर चंद्र ग्रहण प्रारम्भ होगा तथा रात्रि 12 बजकर 48 मिनट पर खत्म होगा। इस समय में मेष लग्न रहेगा तथा चंद्रमा मकर राशि में रहेगा। चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पर सूर्य मंगल की दृष्टि रहेगी तथा जिस राशि में ग्रहण है उसको स्वामी शनि भी अष्टम स्थान पर बैठ कर चंद्रमा को देखेगा। इस तरह से तीन पाप ग्रहों की दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी तथा केवल गुरु ग्रह की शुभ दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी।


आकाश मंडल के ग्रहों के समीकरण के आधार पर ज्योतिष शास्त्र की मैदनीय संहिता में भविष्य में चन्द्र ग्रहण के बाद पड़ने वाले प्रभावोंकी जानकारी मिलती हैं ।
पृथ्वी तत्व की राशि में ग्रहण होने से सर्द ऋतु की फसलों के नुकसान की संभावना है तथा व्यापार धंधे भी प्रभावित होनेे के योग बने हैं ।

विदेशी व्यापार में भी हानि व साख कम होने के योग बनें हैं। शनि ग्रह के कारण राजनीतिक क्षेत्र काफी वैमनस्य व नुकसान होता हो सकता है । सीमा पार विवादोंमें वृद्धिव सैन्य कार्रवाई तथा युद्ध के हालात बनें हैं। सत्ताधीश, राजा व शासकों का अनिष्ट तथा भारी दुखद घटना के योग बने हैं ।

विशेष रूप से ग्रहण के बाद भूकंप व प्राकृतिक प्रकोप की स्थितियां बढ़ेगी। खनन कार्य करने वालों व खदान कार्य में दुर्घटना के योग बने हैं ।
कलाकार के लिए अनावश्यक बाधा पैदा करेगा चन्द्र ग्रहण। सामाजिक वयवस्था को भी प्रभावित करेगा यह चन्द्र ग्रहण ।
भले जमीनी हकीकत में क्या होगा ये सब परमात्मा ही जानें लेकिन ज्योतिष शास्त्र में ऐसे परिणाम आने के योग बने हैं। कुल मिला कर यह ज्योतिषीय मान्यताएं हैं। एक दृष्टि में पडने वाले प्रभावों को इस तरह जाना जा सकता है-
1 भूकंप व प्राकृतिक आपदाएं बढ़ेंगी।
2 खान व खदान कार्य में दुर्घटना।
3 कलाकार को कार्य में बाधा होगी ।
4 फ़सल उत्पादन को प्रभावित करे ।
5 व्यापार में कमी व राज को अनिष्ट
6 राजनीतिक कटुता बढ़े।
7 भारी अत्याचार व लूटपाट ।
8 युद्ध व सैन्य बाधा के योग।

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