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रसगुल्ला किसका ? दो राज्यों में रसीली लड़ाई


भुवनेश्वर। जायकेदार रसगुल्ला अच्छे अच्छों के मुंह में पानी ले आता है। रसगुल्ले की इसी मिठास ने दो राज्यों में ऐसी कड़वाहट घोल दी कि उनका आपस में रसीला विवाद हो गया।

आप भले ही बचपन से यह सुनते आए हों कि रसगुल्ला बंगाली मिठाई है, लेकिन ऐसा दावे के साथ नहीं कह सकते, क्योंकि ओडिशा ने भी दावा किया है कि रसगुल्ले की ईजाद उसने की है।
दरअसल रसगुल्ले की लोकप्रियता ने दोनों राज्यों को मैदान में आमने-सामने आने के लिए मजबूर कर दिया।

दोनों ही राज्यों का दावा है कि सबसे पहले उनके यहां रसगुल्ला बनाया गया था। आज रसगुल्ला दुनियाभर में मशहूर है।

शुरुआत में इसे बंगाली मिठाई के रूप में जाना-पहचाना जाता था। लेकिन पिछले कुछ माह से ओडिशा राज्य एक के बाद एक सबूत पेश कर अपनी दावेदारी जता रहा है कि  रसगुल्ले का जनक वह खुद है।
ओडिशा सरकार ने इस दावे को मजबूत करने के लिए तीन कमेटियां बना दीं। इन कमेटियों ने शुरुआती रिपोर्ट दी हैं। इनका निष्कर्ष है कि बीते 600 साल से ओडिशा के मठ-मंदिरों में भगवान को लगाए जाने वाले भोग ‘नैवेद्य’ में रसगुल्ला शामिल है।

राज्य के तकनीक मंत्री प्रदीप कुमार पाणिग्रही के मुताबिक उनके पास कई सबूत हैं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में बारहवीं शताब्दी में एक किताब इस्तेमाल होती थी, मडला पंजी। सरलादास की किताब दांडी रामायण और महाभारत इन सभी में ओडिशा में मिलने वाले रसगुल्ले का जिक्र है। यहां तक कि आदि शंकराचार्य जब जगन्नाथ मंदिर आए थे तब उन्हें भी रसगुल्ला पेश किया गया था।
बहरहाल दोनों राज्यों के दावे भले जो हों लेकिन इससे रसगुल्ले की मिठास पर कोई फर्क नहीं पड़ा है, बल्कि रसगुल्ला और ज्यादा चर्चित हो गया है।
यह कहती है फूड हिस्ट्री
फूड हिस्ट्री के मुताबिक बंगाल के नवीनचंद्र दास ने 1868 में पहली बार रसगुल्ला बनाया। साल 2010 में हुए एक सर्वे में रसगुल्ले को राष्ट्रीय रसगुल्ले का दर्जा हासिल हुआ था।