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पांच दशक बाद मिले बिछुड़े भाई-बहन


नई दिल्‍ली/ अबू धाबी। बचपन में भाई-बहनों का बिछुड़ना और लम्बे अंतराल पर मिलना एक फिल्मी कहानी जैसा लगता है लेकिन कुछ ऐसी ही कहानी हमजा सरकार की है जो आज से लगभग पांच दशक पहले भारत-पाकिस्तान सीमा पर बचपन में अपने भाई-बहन से बिछुड़ गए थे। इतने लंबे समय के बाद सरकार ने गुरुवार को अपनी 85 वर्षीय बहन एयथु और 75 वर्षीय भाई टी.पी. मम्मीकुट्टी से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में मुलाकात की।
न्यूज एक्सप्रेस से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 76 वर्षीय पाकिस्तानी हमजा सरकार ने लंबे अंतराल के बाद अपने भाई-बहनों से मिलने के लिए कराची से उड़ान भरी जबकि उनके भाई-बहन और परिवार के अन्य सदस्य उनसे मिलने के लिए केरल से अबू धाबी आए। इस तरह के मिलने-बिछुड़ने वाले आंसू-मुस्कान केवल सिल्वर स्क्रीन पर देखने को मिलता है लेकिन यह आंसू-मुस्कान कुछ असल जिंदगी के रिश्ते को बयां करते हैं।
सरकार ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं इस जीवन में अपने भाई-बहन को देख सकूंगा। मैं इतने लंबे समय से इस पल का इंतजार कर रहा था और अब मैं उन्हें छोड़कर पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहता। अबू धाबी में एक छोटे से घर में अपने बड़े बेटे रफीक और अपने भाई-बहनों के साथ बैठे सरकार ने कहा कि वह अब अपनी पत्नी और आठ बच्चों के साथ पाकिस्तान में रह रहे हैं। सरकार की बहन ने उस दौर को याद करते हुए कहा कि वर्ष 1951 में वह घर से लापता हो गए थे। उस समय वह केवल ग्यारह वर्ष के थे। वह बहुत ही घुमक्कड़ थे । एक दिन माँ ने उसे पशुओं को चराने के लिए बाहर भेजा, जिसके बाद वह कभी नहीं लौटा।

न्यूज एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने सहज तरीके से मलयालम भाषा में अपने बिछुड़ने की दास्तां बयां करते हुए कहा कि वह पशुओं को चराते-चराते काफी दूर पहुंच गए और कुछ लोगों के साथ उन्होंने केरल के पलक्कड जिले में स्थित पशोरानुर रेलवे स्टेशन से 2200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपने गृह नगर कोलकाता चला गया। उसके बाद सरकार कोलकाता से बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) चला गया जो कि पाकिस्तान का एक हिस्सा था । बाद में वह कराची चले गए। सरकार ने बताया कि उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता पाने के लिए अपना उपनाम मराकर करना पड़ा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में उन्होंने कभी खुद को अकेला महसूस नहीं किया। उन्हें रहने के लिए कभी कोई समस्या नहीं हुई। सरकार ने बताया कि उन्हें अपने गुजर-बसर के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़े।