जगदलपुर। माओवादियों के कब्जों से एन्टी स्नेक सीरम मिलती रही हैं। मानसून के दौर में जंगलों में सांपों का बड़ा खतरा रहता है। इनसे अपनी जान बचाने के लिए माओवादियों को बस्तर के जंगलों में शिविर लगाकर जहरीले सांपों पे काबू पाने का गुर सिखाया जा रहा है।
माओवादी जंगल मेंं जहां सुरक्षाबल जवानों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गवां रहे हैं, वहीं उनके सामने बारिश कि दिनों में एक खतरा सांपों का भी बढ़ गया है। अब तक माओवादी अपने साथ सांपों के काटने का उपचार एन्टी स्नेक वेनम लेकर साथ लेकर चलते रहे हैं। पुलिस भी इसकी पुष्टि करती है, लेकिन अब माओवादियों ने नया पैतरा अपना लिया है। हालांकि माओवादियों के इस नये गुर को सीखने आर शिविरों की जानकारी होने से पुलिस इंकार कर रही है।
जानकारों का यह भी कहना है कि यह मौसम माओवादियों के लिए जानलेवा भी साबित होता है। नारायणपुर जिले का करीब 35 फीसदी क्षेत्र वन व पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। जिले के अबुझमाड़ का यह क्षेत्र माओवादियों के लिए सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है। यहां का करीब 90 फीसदी क्षेत्र शासन और प्रशासन की पहुंंच से दूर है। इसलिए माओवादी जहरीले सांपों को वश में करने वाले प्रशिक्षक अबुझमाड़ के इलाकों को चुनते हैं और वहां शिविर लगाया जाता है।
नारायणपुर के पुलिस अधिक्षक अभिषेक मीणा का कहना है कि माओवादियों द्वारा शिविर लगाकर सांप को वश में करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस बात की कोई जानकारी नहीं है, लेकिन माओवादी एनटी स्नेेक वेनम या उनके समकक्ष दवाएं अपने पास रखते हैं, जिसे सांप के काटने पर उपयोग में लाया जाता है।