नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मणिपुर में सेना एवं अन्य सुरक्षा बलों द्वारा 12 साल के भीतर किए गए 1528 एनकाउंटरों की जांच के आदेश दिए हैं। अदालत ने सेना से भी अपने स्तर पर इन हत्याओं की जांच करवाने को कहा है।
सप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना और पुलिस के ज्यादा फोर्स और एनकाउंटरों की स्वततंत्र जांच होनी चाहिए। कौन सी एजेंसी इन मामलों की जांच करेगी, यह कोर्ट बाद में तय करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 12 साल के भीतर हुए मणिपुर के 1528 एनकाउंटरों की जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर सशस्त्र बल ( विशेष शक्तियां) अधिनियम लगा है और इलाका भी अशांत क्षेत्र के तहत आता है तो भी सेना या पुलिस ज्यादा फोर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रिमिनल कोर्ट को एनकाउंटर मामलों के ट्रायल का अधिकार है।
शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर यह कहा गया है कि फर्जी एनकाउंटर मामले में सशस्त्र बल ( विशेष शक्तियां) अधिनियम के चलते सुरक्षा बलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस कानून के अनुसार स्थानिय पुलिस को सुरक्षा बलों के लिए मामला दर्ज करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है। इस कानून के अंतर्गत सशस्त्र बलों को तलाशी लेने, गिरफ्तार करने व बल प्रयोग करने आदि में सामान्य प्रक्रिया के मुकाबले अधिक स्वतंत्रता है तथा नागरिक संस्थाओं के प्रति जवाबदेही भी कम है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले मं संज्ञान लिया है और सुप्रीम कोर्ट से अधिक शक्तियों की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने अमाइक्स क्यूरी से उन सब 62 मामलों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी जिन्हें जस्टिस संतोष हेगडे या एनएचआरसी ने फर्जी बताया। कोर्ट ने कहा, सेना हर केस में कोर्ट आफ इंक्वायरी करने को स्वतंत्र है। हालांकि सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सभी एनकाउंटरों को सही वास्तविक बताया था। साथ ही कहा था कि भारतीय सेना ने जवाबी कारवाई के तहत ये एनकाउंटर किए थे। ये कार्रवाई सेना को विदेशी ताकतों को रोकने और देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए करनी पड़ी। केंद्र सरकार का कहना है कि इस मामल में कथित तौर पर शामिल सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
2013 में बनाई गई जस्टिस संतोष हेगडे की कमेटी ने 1500 एनकाउंटरों की जांच की सिफारिश की थी। केंद्र ने इस रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने करीब आठ मामलो की जांच के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एनकाउंटर मामलों की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की गई थी। सेना पर 2000 से 2012 के बीच करीब 1500 लोगों को फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप है।