नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। संत नामदेव का जन्म महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के नरसी गांव में हुआ। वहां संत नामदेव का मंदिर व संत नामदेव गुरुद्वारा है। संत नामदेव ने भाव समाधि पंजाब के गुरुदासपुर जिले की बटाल तहसील के घुमान गांव में ली। वहां संत नामदेव गुरुद्वारा भी है। पंढरपुर में संत नामदेव ने महासमाधि ली।
जनता जनता प्रति वर्ष आषाढ़ी और कार्तिकी एकादशी को उनके दर्शनों के लिए पंढरपुर की वारी (यात्रा) किया करती थी। यह परम्परा आज भी प्रचलित है। इस प्रकार की वारी (यात्रा) करनेवाले वारकरी कहलाते हैं।विट्ठल उपासना का यह पंथ वारकरी संप्रदाय कहलाता है। नामदेव इसी संप्रदाय के प्रमुख संत माने जाते हैं। पिछले दिनों आळंदी से पालखी लेकर सैकड़ों वारकरी बंधु पैदल पंढरपुर के लिए रवाना हुए।
रास्ते में श्री नामदेव युवा संगठन पुणे, राजस्थान छीपा समाज के कार्यकर्ताओं ने दिवा घाट सासवाड़ में उनका भावभीना स्वागत किया। उन्हें चाय व अल्पाहार कराया।
वारकरी बंधुओं ने सासवाड़ में बने रहे भव्य नामदेव मंदिर में विश्राम किया। यहां शिम्पी समाज ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया। यह पालखी रविवार को संत नामदेव की पुण्यतिथि पर पंढरपुर पहुंची। पंढरपुर में आज जबरदस्त माहौल है। हर तरफ जय विट्ठल-जय नामदेव के जयघोष सुनाई दे रहे हैं। महाराष्ट्र सहित देशभर से नामदेव समाजबंधु आज पंढरपुर पहुंचे हैं।