चंडीगढ । हरियाणा में रविवार से फिर जाट आंदोलन शुरू हो रहा है। 15 जिलों में एडमिनिस्ट्रेशन ने तय एक-एक जगह पर 150 से 200 लोगों के बैठने की इजादत दी है। आंदोलन को देखते हुए शनिवार शाम को सोनीपत में इंटरनेट सर्विस और बल्क मैसेज पर बैन लगा दिया गया। पिछली बार हिंसा प्रभावित जिलों में धारा 144 लागू है। 9 जिलों में पैरामिलिट्री फोर्स की 41 कंपनियां तैनात हैं। स्टेट गवर्नमेंट ने पुलिसकर्मियों की छुटि्टयां रद्द कर दी हैं। सीआईडी आंदोलनकारियों पर निगरानी रखे है। आंदोलनकारियों को कहा गया है कि रेलवे ट्रैक, रोड, बिजली, बस, जलस्रोतों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश पर सख्त कार्रवाई होगी। कई शहरों में पुलिस और फोर्स के जवानों ने शनिवार को भी फ्लैग मार्च और मॉक ड्रिल की। सोशल मीडिया में फैलाई जाने वाली अफवाहों से निपटने के लिए सरकार 7 और जिलों में इंटरनेट पर रोक लगा सकती है। हालांकि पुलिस कमिश्नर ने अफवाह फैलाने वाले पर कार्रवाई करने के आदेश जारी किए थे। आईटी एक्सपर्ट अरुण हुड्डा का कहना है कि इंटरनेट पर रोक लगाए बिना सोशल मीडिया पर नजर रखना नामुमकिन है। क्योंकि वाट्सएप, फेसबुक, जीमेल और कई सोशल मीडिया सॉफ्टवेयर के जरिए लोग मैसेज भेज सकते हैं। ऐसे में सभी पर नजर रख पाना मुश्किल है। ऐसे में इंटरनेट पर रोक ही एकमात्र ऑप्शन है।
जाटों की डिमांड है फरवरी में हुए आंदोलन के दौरान हिंसा, को लेकर जाट युवाओं पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं। गिरफ्तार युवाओं को रिहा किया जाए। आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी की भी मांग की जा रही है। जाटों समेत 6 जातियों को आरक्षण संबंधी विधेयक सरकार ने पारित कर दिया है। लेकिन अभी यह मामला कोर्ट में अटका हुआ है। जाट चाहते हैं कि सरकार कोर्ट में आरक्षण की पैरवी मजबूती से करे। सरकार का कहना है कि मुकदमों में किसी भी निर्दोष को नहीं फंसाया जाएगा, लेकिन दोषियों को छोड़ा भी नहीं जाएगा। सभी मुकदमे ऑडियो, वीडियो फुटेज समेत तमाम ठोस सबूतों के आधार पर दर्ज हुए हैं। फिर अगर किसी मुकदमे को लेकर कोई शिकायत है तो उसकी नए सिरे से जांच कराई जाएगी। सरकार ने आरक्षण का अपना वादा पूरा कर दिया है। अब कोर्ट में भी आरक्षण की पैरवी मजबूती से की जाएगी।
आंदोलन को लीड करने वाले नेताओं की प्रॉपर्टी का डीटेल कलेक्ट किया गया है। उन्हें नोटिस भी दिया गया है कि कोई भी नुकसान होने पर उनकी प्रॉपर्टी अटैच की जा सकती है। युवाओं को चेतावनी दी गई है कि वे हिंसा में शामिल हुए तो केस दर्ज होगा। इससे नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगा। पेट्रोल पंप संचालकों को ऑर्डर दिया गया है कि वे किसी को खुला पेट्रोल या डीजल नहीं बेचें। चंडीगढ़ में राज्य स्तर पर और संबंधित जिलों में कंट्रोल रूम बनाए हैं, ताकि कोई भी मदद के लिए फोन कर सके। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, रेलवे ट्रैक, हाईवे, वाटर चैनल, पावर हाउस आदि जगहों पर सिक्युरिटी कड़ी की गई है। हिंसा प्रभावित 8 जिलों में धारा 144 लागू की गई है। हाईवे, रेलवे स्टेशन, ट्रैक, बस स्टैंड आदि के इर्द-गिर्द 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर पाबंदी लगा दी गई है। सोनीपत समेत कुछ जगहों पर 2जी, 3जी, 4जी समेत तमाम इंटरनेट सेवाओं, बल्क एसएमएस और जीपीआरएस मैसेज पर पाबंदी लगा दी गई है। सोशल मीडिया, फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सएप आदि पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। भड़काऊ मैसेज मिलते ही संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी। इस बीच मनोहर लाल खट्टर ने कहा, “हमारी सबसे बातचीत हुई है। जाट नेताओं ने सांकेतिक प्रदर्शन की बात कही है। मैं समझता हूं कि 5 जून को ऐसा कोई विषय नहीं होने वाला, जिससे चिंता हो। हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए सरकार तैयार है। जनता भरोसा रखे। कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।”
यशपाल मलिक गुट ने सरकार को लिखित में भरोसा दिलाया है कि अगर कहीं कोई अप्रिय घटना होती है तो उसके लिए वह जिम्मेदार होंगे। आंदोलनकारी उन्हीं जगहों पर शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे सकेंगे, जहां के लिए उन्हें परमीशन दी गई है। वहीं, राज्य की कई खाप पंचायतें खुद को आंदोलन से अलग कर चुकी हैं। इससे सरकार को उम्मीद है कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा।
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