नई दिल्ली। केंद्र सरकार उत्तराखंड मसले पर नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची लेकिन कोर्ट ने तुरंत इस मामले को सुनने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने महाधिवक्ता मुकुल रस्तोगी से पहले रजिस्ट्रार के पास मामला सूचीबद्ध कराने को कहा। रजिस्ट्रार कार्यालय को अगर मामले की आज ही सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश से अनुमति मिल गई तो सुनवाई होगी।
उत्तराखंड सरकार पर गुरूवार को नैनीताल हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद दिल्ली में भी राजनैतिक सरगर्मी तेज हो गई। कल शाम को ही भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर इस मसले पर विचार विमर्श करने के लिए बैठक बुलाई गई जिसमे अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी भी शामिल हुए थे। इसके अलावा गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरण जेटली, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा, गृह सचिव राजीव महर्षि ने रणनीति बनाकर आज ही सुबह उच्च न्यायालय में नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला लिया। इसी के मुताबिक आज सुबह जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने मामले की तुरंत सुनवाई करने से इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश की अगर अनुमति मिली तो दोपहर बाद केंद्र की याचिका पर सुनवाई हो सकती है।
इससे पहले गुरुवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। 29 अप्रैल को विधानसभा में उनका बहुमत परीक्षण होगा।
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